पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/१७१

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षष्ठसमुल्ला: । १५है जानता रहे जैसे कछुआ शपने अद्भों को गुप्त रखता है वैसे शत्रु के प्रवेश करने के छिद्र को गुप्त रक्खे ॥ ४ ॥ जैसे बगुला ध्यानावस्थित होकर मछली के पकड़ने को ताकता है वैसे अर्थसंग्रह का विचार किया करेद्रव्यादि पदार्थ और बल की वृद्धि कर शत्रु को जीतने के लिये सिंह के समान पराक्रम करे, चीता के समान छिपाकर शशुओं को पकड़े और समीप में आये बलवान् शत्रुओं से खरगोश के समान दूर भाग जाय और पश्चात उनको छल से पकड़े है॥ ५ 1 इस प्रकार विजय करनेवाले सभाप ति के राज्य में जो परिपन्थी अर्थात डाकू लुटेरे हों उनको ( साम ) मिला लेना ( दृाम ) कुछ देकर ( भेद ) फोड़ तोड़ करके वश से करे और जो इनसे 3 वश में न हो तो आतिक ठिन दण्ड से वश में करे ॥ ६ 11 जैसे धान्य का निकाल- नेवाला छिलकों को अलग कर धान्य की रक्षा करता अर्थात टूटने नहीं देता है वैसे राजा डाकू चोरों को सारे र राज्य की रक्षा करे ॥ ७ ॥ जो राजा मोह से अविचार से अपने राज्य को दुर्बल करता है वह राज्य और अपने बन्धुसहित से वन से पूर्व ही शीघ्र नष्ट भ्रष्ट हो ज।ता है t ८ ॥ जैसे प्राणियों के प्राण शरीरों को | कृषित करने से क्षीण होजाते हैं वैसे ही प्रजाओं को दुर्बल करने से राजाओं के प्रा अर्थात् बलादि बन्धुष्टि त नष्ट हो जlते हैं ॥ ' । इसलिये रजा और राजसभा राजकार्य की सिद्धि के लिये ऐसा प्रयन करें कि जिससे राजकार्य यथावत् सिद्ध । हों जो राजा राज्यपालन तत्पर रहता है सुख स सा बता है । ! में सत्र प्र ार उ१को ॥ १० ॥ दो, तीनपांच और सौ ग्रामों के बीच में एक रखें । इसलिये , सराज्यस्थान जिसमें यथायोग्य भृश्य अर्थात् कामदार आदि गजपुरुषों को रखकर सब र। के कायों को पूर्ण करे ॥ ११ !! एक २ ग्राम में एक २ प्रधत प्रश्रम को रक्वे। उन्हीं देश प्रामों के ऊपर दूसराउन्हीं वीस प्रा।ों के ऊपर तीसर , उन्हीं स ?

प्रातों क ऊपर चौथा और उन्हीं सह प्रार्थों के पांचवां पुरुष रक्ख

ऊपर अथiन 1 जेस आजकल एक ग्राम में एक पटवारी, उन् दृश ग्राम में एक थना और दो । थानों पर एक बड़ा थ।ना और उन पांच थानों पर एक तहसील और दशा तहसीलों पर एक जिला नियत किया है यह वही अपने मनु आदि वर्मशा से राजनीति का कर लिया है ॥ १२ ॥ इसी प्रकार प्रबन्ध करे और अझा देवे कि वह ए २ प्रामों का पति ग्रामों में नित्यप्रति जो २ दाप उपन्न उन २ को गुप्तता व द हम । ! के पति को विदित कर दे और वह दश नामtधिपति उसी प्रन और यस ग्राम के स्वामी को दश प्रामों का वर्त्तमान नित्यप्रति जनत दे ॥ १३ ॥ और बीस प्रामों का प्रशि