पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/१९४

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१४२ सन्यार्थप्रकाश: । ९ नदीतीपु तद्विद्यारसमुदे नास्ति लक्षण णम् ॥ ३ ॥ अहन्ह्मन्यवक्षत कमान्तान्बाहनान व । आयययों च नंयतवारन्क्षमद् व !। ४ ॥ एवं सवोंनेमालूजा व्यवहारन्समापयन् । यह किल्वियं सर्व प्रातोति परम गति ॥ ५ ॥ मनु० ८। ३७१ ३७२ । ४०६ । ४१७ ३२० ॥ जो स्त्री अपनी जाति गुण के घमण्ड से पति को छोड़ व्यभिचार करें उसको बहुत स्त्री और पुरुर्गों के सामने जीती हुई झूलों से राजा कटवा कर मरवा डाले १ ॥ उसी प्रकार अपनी स्त्री को छोड के पर स्त्री बा वेश्यागमन करे उस पापी जम को लोहे के पलंग को अग्नि से वा के लाल कर उस पर मुला के जीते को बहुत पुरुषों के सम्मुख भस्म कर देने ५२ ॥ ( प्रश्न ) जो राजा वा राणी अथवा न्यायाधीश व' उसकी स्त्री व्यभिचारदि कुकर्म करे तो उस कोन इण्ड देने ( उत्तर ) सभा मात् उनको दो प्रजापुरुओं से भी अधिक दण्ड होना चाहिये, ( प्रश्न ) राजदि उनसे दण्ड क्यों ग्रहण करेंगे ( उत्तर ) राजा भी एक पुण्यात्मा भाग्युशनु मनुष्य है जब उसी को दण्ड न दिया जाय और वह दुएंड प्रहण न करं तो दूसरे मनुष्य दण्ड को क् मानेंगे ? और जब सब प्रजा । और प्रधान याधिकारी और सभा बार्मिकता से दण्ड देना चाहें तो अकेला क्या कर सकता है जो ऐसी व्यवस्था न हो तो राजा प्रधान और सव समर्थ पुरुष अन्याय में हैं। ' कर न्याय बर्भ को डुत्र के सव प्रजा का नाश कर आप भी नष्ट होजाएं अथाह ड व इला5 के अर्थ का स्मरण करो कि न्याययुक्त ही का नाम राजा औीर ड घर्म दे जो उसका लोप करता है उसे नीच पुरुष दूसरी कौन होगा ? ( रन ) यह को ईड होना उचित नहीं क्योंकि मनुष्य किसी अन्र्यो का अनानेट्टार या जिनेवाला नहीं है इसलिये ऐसा देना चाहिये उसर ) दण्ड न ( तो 5t के f दुण्ड जानते है वे राजनीति को नहीं समझते क्योंकि एक पुरुष ो ६ ठ म 5rर दण्ड होने से सब लोग बुरे काम करने से अलग रहेंगे और बुरे काम मार्ग रहेंगे। सच तो कि एक राई भर में को छोडकर में स्थित पूछो यही है थ दु४ नtम आनेगा और दिया संय में न जो सुगम दुण्ड जाय तो दुष्ट । । भ कदम