पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/२१२

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हत्याक: ! २०० लिये जन्म लेता है तो भी सत्य नहीं क्योंकि जो भभक्तजन ईश्वर की अनुकूल चलते हैं उनके उद्धार करने का पूरा समय ईश्वर में है। क्या ईश्वर के पृथिवी, ने एसा सूर्य, चन्द्रiद जगत् ा बनाउ ार ए आर मुखय करन क ई स ख राव जो इस ण दिका वध और गोवर्धनादि पर्वतों का उठाना व है कर्म दें? कोई दृष्टि 1 में परमेश्वर के कर्मों का विचार करे तो ‘न भूतो न भविष्यति’’ ईश्वर के सश कोई न है, न । और युक्ति से भी ईश्वर का जन्म सिद्ध नहीं होता होगा जैसे कोई अनन्त आकाश को कहे कि गर्भ में आया था मूठी में धर लिया ऐसा कहना कभी सच नहीं हो सकता क्यों कि आकाश अनन्त और सत्र में व्यापक है इस- से न आकाश बाहर आाता और न भीतर जावा वैमे ही अनन्त मर्वव्यापक परमात्मा के होने से उसका आना जाना कभी सिद्ध नहीं हो सकता। जाना वा आना वहां हो- १ सकता है, जहां न हो क्या पर मेश्व' गर्भ में व्यापक नहीं था जो कहीं से आया और बाहर नही था भीतर से निकला ? ऐसा ईश्वर के विषय में कहना और मानना वि जf द्याहीनों के सिवाय कiन कहू र मान सकेगा ।इसलिये परमेश्वर का जाना आना जन्म 3 मरण कभी सिद्ध नहीं हो सकता इसलिये ‘ईमा' आदि भी ईश्वर के 31वतार समत रागद्वेष धा, , शोक दुःखसु वजन्म, मरण लेना क्योंकि षा, भय, आदि ( गुणयुक्त होने से मनुष्य थे। !प्रश्न ईश्वर अपने भकों के पाप क्षमा करता है वा नह । ) ( उत्तर नहीं, क्योंकि जो पाप क्षमा करे तो उसका न्यय नष्ट हो जाय और सन मनुष्य महापापी होजयें क्योंकि क्षमा की बात सन ह के उनको प करने में 1 यता और उत्साह होठाये जैसे राजा अपराध को क्षमा करंद तो वे उमहपूर्वक 1 अधिक २ वर्ड २ पाप करें क्योंकि राजा अपना अपराध क्षमा करदेगा ोर उनक भी भरोसा होजाय िरात से हम हाथ जोड़ने आदि चेष्ठाकर अपने अपराध कुद्दे । लेंगे और जो अपराध नहीं करते वे भी अपराध करने से न डरकर पाप करने में प्रवृत्त हो जायगे इसलिये सब कों के का फल यथावत् देन ही ईश्वर का काम है क्षमा करना नहीं है, प्रश्न के जीब स्वतःत्र है वा परतन्न ? ( उत्तर ) अपने कर्तव्य कमरों में स्वतन्त्र और ईश्वर की व्यवस्था में परतन्त्र है -'स्वतन्त्रकर्ता” यह पार व्याकरण का सूत्र है जो स्वतन्त्र अथात् स्वधीन है वही है। कल (१श्न) स्वतन्त्र किसको कहते है ? उत्तर ) जिसके आधीन शरीर प्राण इन्द्रिय और अन्तकरण हों का प्राप्त जो स्वतन्त्र न हो तो उ को पाप पुण्य फल कभी नहीं होसकता जैसे त्य स्वामी और सेना सेनाध्यक्ष की थाना अथवा प्रेरणा से युद्ध में क्