पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/२१८

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२ ० ८ सत्याका) ! - . किन्तु

  • ज कहा कि न केवल बह और न केवल अन्तकरण को ज्ञान होता है

अन्तकरणस्थ चिट्ाभास को ज्ञान होता है तो भी चेतन ही को अन्तकरण द्वारा झान हुआ तो वह नेत्र द्वारा अल्प अल्पज्ञ क्यों है ? है इसलिये कारणोपाधि । मैं और कापाधि के योग से ब्रह्मा जीव और ईश्वर न बना सकोगे किन्तु ईश्वर नाम बूझ ा है और बूझ से भिन्न अनादि, अनुत्पन्न और अमृतस्वरूप जीव का भी नाम जीव है। जो तुम कहो कि जब चिदाभास का नाम है तो वह क्षण होने से नष्ट हो जाया मोक्ष का सुख कौन भोगेगा १ इसालये ब्रह्म जीव और जीव ब्रह्म कभी न हुआ न है और न होगा । ( प्रश्न ) तो मैं सदव सोम्येदम आासीदेकमेवाद्वितीय ” छान्दोग्य ० अद्वैतसिद्धि कैसी होगी हमारे मत में तो ; ' वृक्ष से पृथ कोई सजातीय विजातीय और स्वगत अवयवों के केंद्र न होने से ' एक त्रह ही सिद्ध होता है जब जीव दूसरा है तो अद्वैत सिद्ध कैसे हो सकता है। ( उत्तर ) इस भ्रम में पड़ क्यों डरते हो विशेष्य विशेषण विद्या का ज्ञान करा है कि उसका क्या फल है जो कहो कि यवत्त के विशण भवतीति ) विशेषए भेट कारक होता है तो इतना और भी म मान नो 56 प्रवक्ष प्रकशुकमपि विशेषण भवतीति शिपर प्रवर्तक और प्रकाशक भी होता है तो समझो कि अद्भुत , विशेपण चूहा का है इस में व्यावक में यह है कि अदूत वस्तु अर्थात जो अ नेक जीव अर तव हैं उन से चूह को पृथक करता है और विशेषण का प्रकाश धर्म यह है कि वृद्घा के एक होने की प्रवृत्ति करता है जैसे आरिमन्नगर द्वितीय यन।ळयो देवदत्त ने अस्या से नायामद्वितीय शूरवीरो बिक्रम सिः' किसी ने किसी से कहा कि इस नगर में अद्वितीय धनाड्य देवदत्त और इस सेना में आद्वितयि शुद्धवीर विक्रमसिंह है । इस से क्या सिद्ध हुआ कि देवदत्त के सशश इस नगर में दूसरा धनाढय और इस सेना में विक्रमसिंह के समान दूसरा शूरवीर नही हैं न्यून तो है। और पृथिवी आदि जड़ पदार्थ पश्वादि प्राणि वृक्षादि भी iर हैं उनका निषेध ' नहीं हो सकता । वैसे ही बूझ के सदृश जीव बा प्रकृति नहीं है किन्तु न्यूनत हैं इससे यह सिद्ध हुआ कि श्रम सदा एक है औौर जीव तथा प्रतिस्थ सब अनेक हैं। उनसे भिन्न कर के एकत्र को सिद्व करनेहारा दूत बा अद्वितीय विशेषण है। वृहम इससे जीव व कृति का और कार्यरूप जगत् का अभाव और निषेध न सकता किन्तु ये सच हैं परन्तु वृह्म के तुल्य नहीं । इससे न बृतसिद्धि और न तदूि f हमने होती हैं। घबराहट में मत पड़ी सोचो और समझो ( प्रश्न ) ' 1 के सन् चिह्न प्रानन्दू जीव के आस्ति भाति प्रियरूप से होती है फिर क्यो और एकता