पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/२३५

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अष्टमउल्लाः ? २२१ & P है कर सकता है।( प्रश्न ) ईश्वर साकार है झा निराकार है जो निराकार है तो बिना हाथ आदि साधनों के जगत् को न बना सकेगा और जो साकार है तो कोई दोष नहीं आता ।( उतर ) ईश्वर निराकार है, जो साकार अर्थात् शरीर युक्त है वह ईश्वर नहीं । क्योंकि वह परिमित शक्तियुक, देश काल वस्तुओं मे परि च्छिन्न, सुधा, तृपा, छेदन, भेदन, शीतोष्ण, ज्वर, पीड़ादि सहित होवे उसमें जीव के विना ईश्वर के गुण कभी नहीं घट सकते। जैसे तुम और हम साकार अर्थात् शरीरधारी है इससे नसरेणु , परमाणु और प्रकृति को अपने वश मे नहीं स्थूल ला सकते हैं वैसे ही देहधारी परमेश्वर भी उन सूक्ष्म पदार्थों से थल ! जगत् नहीं बना जो परमेश्वर भौतिक इन्द्रियगोलक हस्त सकता पादादि अवयवों से रहित है परन्तु उसकी अनन्त शक्ति बल पराक्रम है उन से सब काम करता है जो जीव और प्रकृति से कभी न हो सकते जब वह प्रकृति से भी सूक्ष्म और उन ! में व्यापक है तभी उनको पकड़ कर जगदाकार कर देता है। ( प्रश्न ) जैसे म मुख्यादि के मा बाप साकार हैं उनका सन्तान भी साकार होता है जो ये ? - निराकार 1 होते तो इन के लड़के भी निराकार होते वैसे परमेश्वर मिराकार हो तो उस का बनाया जगन् भी निराकार होना चाहिये। ( उतर ) यह तुम्हारा प्रभ लड़के के समान है क्योंकि हम अभी कह चुके हैं कि परमेश्वर जगत् का उपाट्राम कारण नहीं निमित्त है स्कूल किन्तु कारण और जो होता है वह प्रकृति और परमाणु जगन का उपादान कारण है निराकार परमेश्वर स्थूछ और और वे सर्वथा नहीं किन्तु से अन्य कार्य से सूक्ष्म आकार रखते हैं। प्रश्न ) क्या कारण के बिना परमेश्वर काव्य कर है ( उत्तर ) नहींक्योंकि अभाव अर्थात जो कार्यों को नही सकता , जिसका वर्तमान नहीं है उसका भाव वर्तमान होना सर्वथा असम्भव है जैसा कोई गपड़ा मैंने के और पुत्री का विवाह देखा, वह नश्टन कधमुख ६ाक द Iक वन्ध्या पुत्र और दो खपुष्प की माला पहिरे हुये थे, मृगतृष्णिका के जल में स्नान करते सुर थे वहां के विना , पृथिवी बिना य ग्रन्नों की गन्धवनगर म रहत बदल वयोंके उत्पत्ति आदि होती थी वैसा ही कारण के बिना कार्यों का होना असम्भव है में कोई । मम मुखे जिहा नारत कहे कि ‘मम मातापित न स्वोमेयमेव जात: वन मैं हुआ हूं, मेरे मुव अश है। 7 अर्थात् मेरे माता पिता न थे ऐसे ही उत्पन्न में है। है परन्तु बोलता हूं, दिल में सर्प न था निकल आय में कहीं ६ीं था ये भी हैं हैं है, । २६