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२२६। सत्यार्थप्रकाशः ?


यह कहना कि नितिन गडकरी की

न थे और हम सब जने आये हैं ऐसी असम्भव बात प्रमत्तगीत अर्थात् पागल लोगों की है ( प्रश्न ) जो कारण के बिना कार्य नहीं होता तो कारण का कारण कौन है ? ( उत्तर ) जो केवल कार णरूप ही है वे कार्य किसी के नहीं होते और जो किसी का कारण और किसी का कार्य होता है वह दूसरा कहता है जैसे पृथिवी घर आदि का कार ण और जल आदि का कार्ययें होता है परन्तु जो आदि कारण प्रकृति है वहं अनादि हैं । मूले मृताभावादमू मूल म् ॥ सांख्यद० अ० १। सू॰ ६७ ॥ मूल का मूल अर्थात् कारण का का ण नहीं होता इससे अकारण सब कार्यों का कारण होता है क्योंकि किसी कार्य के आरम्भ समय के पूर्व तीन कारण अवश्य होते हैं जैसे कपडे बनाने के पूर्व तम्तुवाय, रुई का सूत और नलिका आदि पूर्व वर्तम।न होने से वस्त्र बनता है वैसे जगन् की उत्पत्ति के पूर्व परमेश्वर, प्रकृति दाल और आकाश तथा जीवों के अनादि होने से इस जगत् की उत्पत्ति होती है । यदि इन में से एक भी न हो तो जगत् भी न हो। पुत्र नाहितका श्राहुः-शून्ष तवं भावो विनश्याति बस्तुधर्म वादूिनशस्य ॥ १ ॥ सांख्यद॰ श्र० १ । सू॰ ४४ ॥ अभावावापत्तनiनुपमृ भावात् t २ । इंश्र’ कारण पुरुषकमाल्यदशला ३ ! अनिमिततो भावोत्पत्तिः कण्टकतैऋण्यादिदनात् ॥ ४ ॥ स्वेमॉनत्यमुपात्तावनश्शयमेकात , ५ ॥ सर्च नियं पठभूतनित्यात् ॥ ६ ॥ सर्च द्थ भाव क्षणपृथक्वात् ॥ ७ ॥ समभावों भाववितरेतरभावसिजेः ॥ ८ ॥ न्यायमू० अ० ४ । अ० १ ॥ यहा नानिक लोग ऐसा कहते हैं कि शून् ही एक पदार्थ है सृष्टि के पूर्व शून्य था अन्त में छत्य होगा क्योंकि जो भाव है अर्थात् वर्तमान पदार्थ है उसका । आभाब होकर शून्य हो जाय।(उत्तर)न्य आकाश आदृश्य अवकाश और विन्दु को