पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/२३८

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द२८ हानाश: ॥ - देन का लब्ध होता है उसका वर्तमान में अनियत्व और परस सूक्ष्म कारण को नित्य ' कहना कभी नहीं हो सकता जो श्रद्धान्ति लोग ऋह से जगत् की उत्पत्ति मानते हैं तो चूह के सत्य होने से उस का कार्य असत्य कभी नहीं हो सकता। जो स्वप्न रज्जू सदिवत् कल्पित कहै तो भी नहीं बन सकता क्योंकि कल्पना गुण है गुण से द्रय न और गुण द्रव्य से पृथ नहीं रह सकता जब कल्पना का कत्त नित्य है । तो उसकी कल्पना भी नित्य हनी चाहिये नहीं तो उसको भी अनित्य मानो जैसे स्वप्न बिना देखे सुने कभी नही आाता जो जागृत अर्थात् वर्त्तमान समय में सांस्य पदार्थ है उनके साक्षात् सम्बन्ध से प्रत्यक्षादि ज्ञान होने पर संस्कार अर्थात् उनका बासगारूप ज्ञान आत्मा में स्थित होता है स्वप्न में उन्हीं को प्रत्यक्ष देखता है जैसे सुपुप्त होने से वाह्य पदार्थों के ज्ञान के अभाव में भी बाह्य पदार्थ विद्यमान रहते ! हैं वैसे प्रलय से भी कारण द्रव्य वर्तमान रहता है जो संस्कार के विना स्वप्नत ोवं तो जन्मान्ध को भी रूप का स्वप्न होवे इसलिये वहां उनका ज्ञानमात्र है और बाहर 1 सब पदार्थ वर्तमान है ।( प्रश्न ) जैसे जागृत के पदार्थ स्वप्न और दोनों के सुपुप्ति में आत्तिय हो जाते । है वैसे जागृत के पदार्थों को भी स्वप्न के तुल्य मानना चाहिये ( उत्तर ) ऐसा कभी नहीं मान सकते क्योंकि स्वप्न और सुपुप्ति में बाह्य पदाथरें ? का आज्ञाममात्र होता है अभाव नहीं जैसे किसी के पीछे की ओर बहुत से पदार्थ । अदृष्ट रहते हैं उनका प्रभाव नहीं होता वैसे ही स्वप्न और उपुप्ति की बात है । । इसलिये जो पूर्व कह आये कि बूझा जीव और जगत् का कारण अनादि नित्य है। बही सत्य है ॥ ५ ॥ छठा नास्तिक-कहता है कि पाच भूतों के नित्य होने से सब जगत् नित्य है ' ( उर ) यह बात सत्य ही क्योंकि जिन पदार्थों की उत्पत्ति और विनाश का कारण देखने में आता है वे सब नित्य हों तो सब स्थूल जगत तथा शरर घट पटादि पदार्थों को उत्पन्न और विनष्ट होते देखते ही है इससे कार्य को नित्य नहीं मान सकते ॥ ६ ॥ सातवां नास्तिक-कहता है कि सब पृथक् २ हैं कोई एक पदार्थ नहीं है जिस २ पदार्थ को हम देखते है कि उन में दूसरा एक पदार्थ कोई भी नहीं दीखता (उत्तर) अवयवों में अवयवी, वर्तमानदाल, आकाश परमात्मा और जाति पृथ २ पदार्थ समूह में एक २ है उनसे पृथ कोई पदार्थ नहंीं हो सकता इसलिये सब पृथ पदार्थ नहीं किन्तु स्वरूप से पृथ २ है और पृथक् २

पटों में एक पदार्थ भी है ॥ ७ ॥ आठवा नाम्तिक-कहता है कि सब पदाथों में

तरेतर क्षेत्र की सिद्धि होने से सत्र अभा रूस हैं जैसे ‘‘अनवो गौ. 1 अगौरव:' 21 - - .