पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/२४६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

में १ हाल, 13 उत्तर में , हिमालय, दक्षिण में विन्ध्याचलपूर्व और पश्चिम में समुद्र में तथा सरस्वती पश्चिम में अटक नदी, पूर्व मे दृढ़ती जो नेपाल के पूर्व भाग पहाड़ से निकल के बंगाले के आसाम के पूर्व और त्रह झा के पश्चिम ओर होकर दक्षिण के - x - - ये समुद्र म मिला है जिस का ब्रह्मपुत्र हित ६ आर जी उत्तर क पहाड़ से निल के की खाड़ी अटक मिली है हिमालय की मध्यरेखा से दक्षिण दक्षिण के समुद्र में और पहाड़ों के भीतर और रामेश्वर पन्त विन्ध्याचल के भीतर जितने देश है उन सब को आर्घावतें इसलिये कहते है कि यह आ।ौंवर्द्र देव अर्थात् विद्वानों ने बसाया और आर्यजनो के निवास करने से आथ्र्युवर्ल कहाया है । ( प्रश्न ) प्रथम इस देश का नाम क्या था और इस में कम बसते थे ? ) इस के पूर्व ( उत्तर इस देश का नाम कोई भी नहीं था और न कोई आयाँ के पूर्व इस देश में बसते थे क्योंकि आथ्र्य लोग सृष्टि की आदि से कुछ काल के पश्चात तिब्बत से सूखे इसी देश में आकर बसे थे 1 ( मन ) कोई कहते है कि ये लोग ईरान से आये इसी से इन लोगों का नाम आार्य हुआ है इन के पूर्व यहा जगली लोग बसते थे। कि जिनको असुर और राक्षस कहते थे आ।लोग अपने को देवता बतलाते और उनका जब ग्राम हुआ उस का नाम देवासुर संग्राम कथाओं में ठहराया। ( उत्तर ) यह बात सर्वथा झूठ है क्योकि विजानीझान्ये च दस्बूत्रो हिम्मते रन्धया शासंद ' बतान् । अ० ज० १ । ७ ५१ । ९ २ । थ डत शूडें उतायं 1 अयवैध कॉ० १९ ६२ ॥ यह लिख चुके हैं कि आर्य नास धार्मिक, विद्वान, आप्त पुरुओं का और इन्हें विपरीत जनों का नाम दस्यु अर्थात् डाकू, छुट, आधाभिंक और आविद्वान् है तथा ब्राह्मणक्षत्रियवैश्य द्विजों का नाम आर्य और शूद्र का नाम अनार्य अथत अनाडी है । जव वेद पैसे कहता है तो दूसरे विदेशियों के कोलकाल्पिन को बुद्धि- सान् लोग कभी नहीं मान सकते और देवासुर संग्राम में आर्यावर्षीय अर्जुन तर महाराजा दशरथ आदि हिमालय पहाड में आर्य और दस्यु ग्रेच्छ असुरों का जो युद्ध हुआ था उस में देव अर्थात् आय्यर्षों की रक्षा और आलू के पराजय करने को सहायक हुए थे 1 इस से यही सिद्ध होता है कि आर्यावर्क्स के बाहर चारों ओर जो हिमालय के पूर्व, आग्नेय, दक्षिणनैऋत्य, पश्चिम, वायब्य, उतरने