पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/२४९

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अष्टम समुल्लास : It २ ३९ कश्यप कदू और बैल गाय का, कश्यप मरीची का, मरीची मठ का, मनु विरा का और विराट् ब्रह्मा का पुत्रब्रह्मा आदिसृष्टि का था। जब शेष का जन्म न हुआ था। उस के पहिले पांच पीढ़ी हो चुकी है तब किसने धारण की थी १ अथॉन कश्यप के ! जन्म समय में प्रथिवी किस पर थी तो ‘तेरी चुप मेरी भी चुप’ और लड़ने लग जा- येंगे । इसका सच्चा अभिप्राय यह है कि जो “वाकी' रहता है उसको शेष कहते हैं ? सो किसी कवि ने शेघाधारा पृथिवीयुक्त’’ ऐसा कहा कि शेप के आधार पृथिवी हैं I दूसरे कर ली ने उस के अभिप्राय को न समझ कर सर्ष की मिथ्या कल्पना परन्तु जिसलिये परमेश्वर उत्पत्ति और प्रलय से बाकी अर्थात् पृथक रहता है । इसी से उस को “शप ' कहते हैं और उसी के आधार पृथिवी है: सत्येनोत्तभिता भूमैिः ॥ अथवे० कां॰ १४ । ब० १ 1 में ० १ ॥ ( सत्य ) अर्थात् जो नैकाल्याबाध्य जिस का कभी नाश नहीं होता उस परमेश्वर ने भूमि आादिस्य और सब लोकों का धारण किया है । उक्षा दाधार टॉथबीमुल था यह ऋग्वेद का बचन है-- इसी ( उक्षा ) शब्द को देखकर किसी ने बैल का ग्रहण किया होगा क्ोंकि उक्षा बैल का भी नाम है परन्तु उस मूढ़ का यइ विदित न हुआ कि इतने बड़े भूगोल के धारण करने का सामथ्र्य बैल में कहां से आवेगा ! इसलिये उक्षा बखारा भूगल के सेचन करने से सूर्य का नाम है उस ने अपने आकर्षण से पृथिवी को धारण किया है परन्तु सूर्यादि का धारण करने वाला विना परमेश्वर के दूसरा कोई भी नहीं है । ( प्रश्न ) इतने २ बडे भूगोलों ! को परमेश्वर कैसे धारण कर सकता होगा १ ( उत्तर ) जैसे अनन्त आकाश के ! सामने बड़े २ भूगोल कुछ भी अर्थात् समुद्र के आगे जल के छोटे कण के तुल्य | भी नहीं हैं वैसे आनन्त परमेश्वर के सामने असख्यात लोक एक परमाणु के तुल्य । भी नही कद्दे सकते । वह बाहर भीतर सर्वत्र व्यापक अथात् विभु प्रजापु' य. यजुर्वेद का वचन है वह परमात्मा सत्र प्रज में व्यापक ाकर सत्र की धारण कर रहा है जो वह ईसाई मुसलमान पुराणियों के कथनानुसार विधु न होता तो इस सव स्मृष्टि का ध।रण कभी क्योंकि बिना प्राप्ति के किसी को कोई न कर सकता कई -नहीं कर कोई कि सब धारण सकता । कहे ये लोक परस्पर आकर्ष) से रित होंगे पुल परमेश्वर के धारण करने की क्या छपेक्षा है उन को यह ठ त्तर देना '