पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/२५०

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९४० सत्णायें श: चाहिये कि यह स्तुष्टि अनन्त है वा सान्य है जो अनन्त हैं तो आकारवाली वस्तु अनन्त कभी नहीं हो सकती और जो सान्त कहें तो उन के पर भाग सीमा अ म? थात् जिस के परे कोई भी दूसरा लक्षक नहीं हैं वहां किस के आकर्षण से धारण उ हांग जैसे समप्टि और व्यष्टि अर्थात् जब सब समुदाय का नाम वन रखते हैं तो । 1 समट कहाती है और एक २ आंतदि को भिन्न भिन्न गणा कर तो व्यष्टि कहती है जैसे सब भूगोल को समष्टि गिनकर जगत् कहें तो खब जगत् का धारण आर : . आकर्षण का कल बिना परमेश्वर के दूसरा कोई भी नहीं इसालये जो सब जगत N e। ) का रक्त ई वा. स दांधार की मृतसस् य* अ० १३ 3 म° है जो पृथिव्यदि प्रकाशराहित लोकलोकन्तर पदार्थ मथा सूर्यादि प्रकाशसहित

लक और पदा का रचन धारण परमात्मा करता है जो सब में व्यापक हो ।

रहा है वहीं सब जगत् का कहूँ और धार ण करनेवाला है । ( प्रश्न ) एथि. ? 3 लोक घूमते है व रि? ( उत्तर ) घूमते हैं । ( प्रश्न ) कितने ही लोग याद वर्ष 1 कहते है कि सूट बूमता है और पृथिवी नहीं चूमती दूसरे कहते है कि पृथिवी ) घूमती है सूर्य नहीं झूमता इस में सन्य क्या माना जाय १ ( उत्तर ) ये दोनों अधे भरे हैं क्यूंकि बद गें लिखा है कि 3 घायं गौः पृश्ौिंरक्रसीदलंदन्मातर्ष पुर: । पितर व प्रय- न्त्ः। य० अ० ३। मं० ६ ॥ यात् यडू भूगल जल के सहित सूर्य के चारों ओर घूमता जाता है इस iलय भूमि घूमा करती है । आकृपेन रजंसा बर्द्धमानो निक्शचन्द्भुत अत्यं च । हिरण्ययन सविता रयेला देवो यति भुवनानि परश्रन् । । यजु॰ अ॰ ३२ ४३ है 1 म° ॥ जो महिला न वदि , , तेजोमय, रमणीय स्वरूप न भून ा के नोप्रकाशच के 5 मई दल मान मन tणि यारिशों में अमनन बष्टि ' कर g द्वारा अमृत का श प्रदेश स्तर पर मत (त 1 को दिलाता हुआा सच लोटों के द्र व्यों के साथ