पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/२७

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स शनैश्चरः” जो सब में सहज से प्राप्त धैर्यवान् है इससे उस परमेश्वर का नाम “शनैश्चर” है । (रह त्यागे) इस धातु से “राहु” शव्द सिद्ध होता है “यो रहति परित्यजति दुष्टान् राहयति त्याजयति वा स राहुरीश्वरः” जो एकान्त स्वरूप जिस के स्वरूप में दूसरा पदार्थ संयुक्त नहीं जो दुष्टों को छोड़ने और अन्य को छुड़ानेहारा है इससे परमेश्वर का नाम “राहु” है । (कित निवासे रोगापनयने च) इस धातु से “केतु” शब्द सिद्ध होता है “यः केतयति चिकित्सति वा स केतुरीश्वरः” जो सब जगत् का निवासस्थान सब रोगों से रहित और मुमुक्षुओं को मुक्ति समय में सब रोगों से छुडाता है इसलिये उस परमात्मा का नाम “केतु” है। (यज देवपूजासङ्गतिकरणदानेषु) इस धातु से “यज्ञ” शब्द सिद्ध होता है “यज्ञो वै विष्णु” यह ब्राह्मणग्रन्थ का वचन है । “यो यजति विद्वद्भिरिज्यते वा से यज्ञः” जो सब जगत् के पदार्थों को संयुक्त करता और सब विद्वानों का पूज्य है और ब्रह्मा से ले के सर्व ऋषि मुनियों का पूज्य था, है और होगा इससे उस परमात्मा का नाम “यज्ञ” है क्योंकि वह सर्वत्र व्यापक है । (हु दानादनयोः, आदाने चेत्येके) इस धातु से “होता” शब्द सिद्ध हुआ है “यो जुहोति स होता” जो जीव को देने योग्य पदार्थों का दाता और ग्रहण करने योग्य का ग्राहक है इससे उस ईश्वर का नाम होता है । (बन्ध बन्धने) इससे “बन्धु” शब्द सिद्ध होता है “यः स्वस्मिन् चराचरं जगद् बध्नाति बन्धुवद्धर्मात्मनां सुखाय सहायो वा वर्तते स बन्धुः” जिसने अपने में सब लोकलोकान्तरों को नियमों से बद्ध कर रक्खे और सहोदर के समान सहायक है इसी से अपनी २ परिधि वा नियम का उल्लघन नहीं कर सकते । जैसे भ्राता भाइर्यों का सहायकारी होता है वैसे परमेश्वर भी पृथिव्यादि लोकों के धारण रक्षण और सुख देने से “बन्धु” संज्ञक है । (पा रक्षणे) इस धातु से “पिता” शब्द सिद्ध हुआ है “यः पाति सर्वान् स पिता” जो सब का रक्षक जैसे पिता अपने सन्तान पर सदा कृपालु होकर उनकी उन्नति चाहता है वैसे ही परमेश्वर सब जीवों को उन्नति चाहता है इससे उसका नाम “पिता” है । “यः, पितॄणां पिता स पितामहः” जो पिता का भी पिता है इससे उस परमेश्वर का नाम “पितामह” है । “यः पितामहानां पिता स प्रपितामहः” जो पिता के पितरों का पिता है इससे परमेश्वर का नाम “प्रपितामह” है। “यो मिमीते मानयति सर्वाञ्जीवान् स माता” जैसे पूर्णकृपायुक्त जननी अपने सन्तानों का । सुख और उन्नति चाहती है वैसे परमेश्वर भी सब जीव की बढ़ती चाहता है इससे