पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/२७८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सयानतकश !! ब्रह्मा विश्वस्जो धम्म महान क्तमेश च । उत्तमां साविकीमतां गतिमाहुर्मनीषिणः ॥ १०॥ । इन्द्रियाणा व सरौन धमस्यासवर्नन व । ( पापान्सैयान्ति संसरानविांसो नराधमः 1 ११ ॥ A मनु० अ० १२ से मुल० ४० से ४२-५.० । ५२ ! जो मनुष्य सारिस्त है वे देव अर्थात् विद्वान, जो रजोगुण होते हैं वे मध्यस मनुष्य और जो तमोगुणयुक्त होते हैं वे नीच गति को प्राप्त होते हैं । १ 1 जो अत्यन्त तमोगुणी हैं वे स्थावर वृक्षादि, कृमि, कीट, मत्स्य, सर्षकच्छपपशु 1 और मृग के जन्म को प्राप्त होते हैं ॥ २ ॥ जो मध्यम तमोगुणी है वे हाथी, घोड़ा मैं शद्रस्लेच्छ नेन्दित कमे करनेहार, सि। , यात्र, बराह अत्सूकर के जन्म क प्राप्त होते है ॥ ३ ॥ जो उत्तम तमोगुणी हैं वे चारण (जो कि कवित्त दोहा आदि बनाकर मनुष्यों की प्रशसा करते हैं ), सुन्दर पक्षी, द्वाभिक पुरुष अर्थात् अपने सुख के लिये अपनी प्रशंसा करनेहारे, राक्षस जो हिंसक, पिशाच अनचारी अत् मआदि के आहारकत्त और मलिन रहते हैं वठ उत्तम तमोगुण के कर्म का फल है ॥ ४ ॥ जो उत्तम रजोगुणी हैं वे नेता अथात् तलवार अ7 द से मारने वा कुदार Tदि मे खोदनेहरे मल्ा अर्थात् नौका आदि के चलाने वाले नेट जो बांस आदि पर कला कूदना चढना उतरमा आदि करते हैं शवधारी नृत्य और मद्य य पीने में आास क हों ऐसे जन्म नीच रजोगुण का फल है । ५ जो मध्यम रजोगुणी होते हैं वे राजा, क्षत्रियवर्णस्थ राजाओं के पुरोहितवादविवाद करनेवालेदूतप्रावि- वाक् ( वकील वारिटर ), युद्ध विभाग के अध्यक्ष के जन्म पते हैं ॥ ६ It जो उत्तम रजोगुणी हैं वे गन्धर्व ( गानेवाले ), गुह्यक ( वादिन बजानेहारे ), य (नाढय ), विद्वानो के सेवक और अप्सरा अर्थात् जो उत्तम रूपवाली ली उनका जन्म पाते हैं ?? ७ ॥ जा तपस्व, यति, संन्यासी, वेदपाठी विस के चलानेवाले ज्योतिषी और देय अर्थात् देहपोपक मनुष्य होते है उनको प्रथम सत्वगुण के कर्म का फल जानो 1 ८ ॥ जो समयम सरस्वगुण युक्त होकर कर्म करते हैं वे जीव यज्ञक्र, वेदeवित, विद्वान् वेद विद्युत् आादि और काल विद्या के ज्ञाता, रक्षक, ज्ञानी और ( साध्य ) कार्यसिद्धि के लिये सेवन करने योग्य अध्यापक का जन्म पाते . ॥ ९ ॥ जो उत्तम सत्वगुणयुक्त हो चतम कम कर हैं हैं

। c A