पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/२८७

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है कि तीन - दम समुला: । २७७ २६/१ र बीन में प्राय चीन स 1६मल और हिमालय से मिथिलापुरी को आये । ‘' र 15ध तथा अप जन पात म प्रश्ध तरी अत् जिसको अस्नियान नौका 5;त ई से ५र " पतिfठ में ज ि’ाजf tधार यज्ञ में ढोलक ऋषि

f अमयेि से थे । तर।का विवाहू गांधार जिसको कंधार’ कह से हैं वहां की ती में 'आया । 11वीं पं0 की ब ‘‘ईरान के राजा की कन्या थी । और | जन फा िic Iताल में जिज स को ‘अमiरका कहते हैं वहां के राजा की लडकी के साथ प्रा था । जो देशदेशान्तरद्वीपद्वीपन्तर में न जाने होते तो ये भी वर्गों द कर हो सकतीं ? मनुस्मृति में जो समुद्र में जानेवाली नौका पर कर मr टिका है वह भी अ।से द्वीपान्तर में जाने के कारण है । और जब २६ रहा युधिष्टिर ने Fजसूय यज्ञ किया था उस में सब भूगल के राजाओं को लाने इन भ[मठrर की ikमन्नण क iलय , अर्जुननकुल देव चारों दिशाओं

  • गये जो दोप गनते होते तो कभी न जाते सो प्रथम आर्द्रदेशीय लोग

यrर राम का प्रीय भ्रमण के लिये संभ भूगोल में घूमते थे और जो आजकल छत औीर ध में नष्ट हने कr शक है व केवल मुंबई के बान र अज्ञान , बाढ़ में है जो सभ्य देश देशान्त र श्र द्वीपट्टी पान्तर में जाने आने में अका नहीं स ' क र से व देशान्तर के अ ने कथि मनुष्यों के समागम रीति भांति देखने अपना राज्य गैर व्यवहार बढान से निर्भय शूरवीर होने लगते अच्छे व्यवहार का और Aहर वाता क छोडने में तत्पर हो बडे ऐश्वर्य को प्राप्त होते है भला जा ! म भ्रष्ट म्छकुलपन्न वेश्या आदि के स मागम से आचारभ्रष्ट ध में हीन नहीं होते किन्तु देशमशान्ती के उत्तम पुरुषों के साथ समागम में छत और दोष मानते हैं ! यह केवल मूर्खता की बात नहीं त। क्या है ?, हां, इतना कारण तो है कि जो लोग मrभऋण और मद्यपान करते हैं उनके शरीर और चीठयदि धालु भी दुर्गन्धदि से दूषित होते हैं इसलिये उनके संग करने को भी यह कुरुक्षण न लग जायें यह तो ठीक है परन्तु जब इनसे ८वहार और गुणप्रहण करने में कोई भी दोप बा प। सही किन्तु इनके द्यपानादि दोष का छोड गुपों को ग्रहण करें तां कुछ भी हliने नहीं जब इन के स्पश आर दयन से भी सूख जन पाप गिनते है इसी से उनसे युद्ध कभी नही कर सकते क्योकि युद्ध में उनको देखना tर स्पर्श होना अवश्य है । उजम लोगो को राग द्वेष अन्यान्य मियाभाषणादि देषो को निर्धार, प्रीति परोपकार सजननादि का , धारण करना उत्तम आचार है। छोड