पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/२८८

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२७२ सत्याग्र: । आtर IRम आर क हैं इम यह भी समझ लें कि धर्म हमारे कत्लेय के साथ जब अच्छे काम करते हैं तो हम को देशदेशान्तर और द्वीपढ़ो ।न्तर जाने में कुछ भी दोष नहीं लग सकता दोप तो पाप के काम करने में लगते हैं। दr, इतना अवश्य चाहिये कि वेदोक्त में का निश्चय और पाखण्डत का खण्डन करना आवश्य सीथलें जिससे कोई हरा को झूठा निश्चय न करा सके । क्या बिना देशदेशान्तर और द्वीपद्वीपन्नर में राज्य वा याप!र किये संदेश की उन्नति कभी हो सकती हूं ४ जब स्वदेश के म व लांग व्यवह क़रत आर परदा स्वदेश में व्यव हर व राज्य करें तो विना दारिद्रय और दु ख के दूसरा कुछ भी नहीं हो स झता 1 पाखण्डी लोग यह समझते है कि जो हम इन को विद्या पढ़ायेंगे और देश- देशान्तर में जाने की अIज्ञा देखेंगे तो ये बुद्विमान् होकर हमारे पाखण्ड जाल में न फंसने से हमारी प्रतिष्ठा और जीविधा नष्ट होजावेगी इसीतिये भोजन छादन से बड़ा डालते हैं कि वे दूसरे देश में न जा सकें । हां, इतना अवश्य चाहिये कि मद्यमांस का ग्रहण कदापि भूलकर भी न करें क्या सत्र बुद्धिमानों ने निश्चय नहीं किया है 1 जी रजपुरुषों में युद्ध समय में भी चौका लगाकर रसIई बना के खाना अवश्य पराजय का हेतु है ? किन्तु क्षत्रिय लोगों का युद्ध में एक हाथ e स रोटी खात जब पीते जाना छोर दूसरे हाथ से आगे की बोर्ड द्थी रथ पर चढ़ वा पैदल होके सारते जना अपना विजय करना ही आचार और पराजित होना अनाचार है। इस मूढ़ता से इन लोगों ने चौका लगाते २ विरोध करते कराते सख गे स्वातन्य, अनन्, न, राज्य, विद्या और पुरुषार्थ पर चौका लगाकर हाथ पर हाथ धर बैठे हैं और इच्छा करते हैं के कुछ पद1थे मिले तो पकाकर ख!वं परन्त वैर न होने पर जानो सब आर्यावर्दी देश भर में चौका लगा के सर्ष या नष्ट कर दिया है। हां! जहा भोजन करं ट् स स्थान को धोने, लेपन करने, का ल।ने, कू कट दूर करने में प्रयन्न अवश्य करना चाहिये न कि मुसलमान व इसाइयों के समान भ्रष्ट पाकशाल करना 1 (प्रश्न ) सखरी निखर क्या है ? (उत्तर ) सखरी जो जल आदि में अन्न पकाये जाने और जो बी दूध में पाते हैं वह निखरो अत् चोखी यह भी इन का चलाया हुआ पाखण्ड है क्योंकि जि में थी दूध अधिक लगे उंसको खाने में स्वाद और उदर में चिका पदार्थ अधिक जावे इसीलिये यह प्रप व रचा है नही | से जो अग्नि बा काल से पका हुआ पदार्थ षय ा अरोर न पका हुr कच्चा है जो पक्का