पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/२९

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का नाम अनादि है। (टुनदि समृद्धौ) आङ्पूर्वक इस धातु से “आनन्द” शब्द बनता हैं “अनन्दन्ति सर्वे मुक्ता यस्मिन् यद्वा य सर्वाञ्जीवानानन्दयति स आनन्द” जो आनन्दस्वरूप जिसमें सब मुक्त जीव आनन्द को प्राप्त होते और जो सब धमत्मा जीवों को आनन्दयुक्त करता है इससे ईश्वर का नाम “आनन्द” है । (अस भुवि) इस धातु से “सत्” शब्द सिद्ध होता है “यदस्ति त्रिषु कालेषु न बाध्यते सत्सद् ब्रह्म” जो सदा वर्तमान अर्थात् भूत, भविष्यत्, वर्तमान काल में जिसका बाध न हो उस परमेश्वर को “सत्” कहते हैं । ( चिती संज्ञाने ) इस धातु से “चित्” शब्द सिद्ध होता है “यश्चेतति चेतयति संज्ञापयति सर्वान् सज्जनान् यागिनस्तच्चित्पर ब्रह्म” जो चेतनस्वरूप सब जीवों को चिताने और सत्याऽसत्य की जनानेहारा है इसलिये उस परमात्मा का नाम “चित्” है, इन तीनों शब्दों के विशेषण होने से परमेश्वर को “सच्चिदानन्दस्वरूप” कहते हैं। “यो नित्यध्रुवोऽचलोऽविनाशी स नित्य” जो निश्चल अविनाशी हैं सो नित्य शब्दवाच्य ईश्वर है । ( शुन्ध शुद्धौ ) इससे “शुद्ध” शब्द सिद्ध होता है “यः शुन्धति सर्वान् शोधयति वा स शुद्ध ईश्वर” जो स्वयं पवित्र सब अशुद्धियों से पृथक् और सब को शुद्ध करनेवाला है इससे उस ईश्वर का नाम शुद्ध है । (बुध अवगमने) इस धातु से “क्त” प्रत्यक्ष होने से “बुद्ध” शब्द सिद्ध होता है “यो बुद्धवान् सदैव ज्ञाताऽस्ति स बुद्धो जगदीश्वरः” जो सदा सब को जाननेहारा है इससे ईश्वर का नाम “बुद्ध” है। (मुच्लृ मोचने) इस धातु से “मुक्त” शब्द सिद्ध होता है “यो मुञ्चति मोचयति वा मुमुक्षून् स मुक्तो जगदीश्वरः” जो सर्वदा अशुद्धियों से अलग और सब मुमुक्षुओं को क्लेश से छुड़ा देता है इसलिये परमात्मा का नाम “मुक्त” है “अतएव नित्यशुद्धबुद्धमुक्तस्यभावो जगदीश्वरः” इसी कारण से परमेश्वर का स्वभाव नित्य शुद्ध बुद्ध मुक्त है। निर् और आङ्पू्र्वक (डुकृञ् करणे) इस धातु से “निराकार” शब्द सिद्ध होता है। “निर्गत आकारात्स निराकारः” जिसका प्रकार कोई भी नहीं और न कभी शरीर धारण करता है इसलिये परमेश्वर का नाम “निराकार” है। (अञ्जू व्यक्तिम्लक्षणकान्तिगतिषु ) इस धातु से अञ्जन शब्द और निर् उपसर्ग के योग से “निरञ्जन” शब्द सिद्ध होता है “अञ्जनं” व्यक्ति र्म्रक्षणं कुकाम इन्द्रियैः प्राप्तिश्चेत्यस्माद्यो निर्गतः पृथग्भूतः स निरञ्जनः” जो व्यक्ति अर्थात् आकृति, म्लेच्छाचार, दुष्टकामना और चक्षुरादि इन्द्रियों के विषयों के पथ से पृथक् है इससे ईश्वर का नाम “निरञ्जन” है। (गण संख्याने) इस धातु से “गण” शब्द सिद्ध होता और इसके