पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/२९६

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२८६ सर्वशिक्षाः ??

देखें सुनेगा उसको इस प्रन्थ का अभिप्राय यथार्थ चिह्नित होना बहुत कठिन है इसलिये जो कोई इसको यथावत् न विचारेगा वह इसका अभिप्राय न पाकर गोता खाया करेगा विद्वानों का यही काम है कि सस्य सत्य का निर्णय करके सत्य का ग्रहण असत्य का त्याग करके परम आनन्दित होते हैं वे ही गुणग्राहक पुरुप विद्वान होकर धर्मअर्थ, काम और मोक्षरूप फलों को प्राप्त होकर प्रसन्न रहते है॥ १० है1 इति श्रीमदयानन्दसरस्वतीवामिछले सत्याप्रकाश सुभाषाविभूषित आचारISनाचारभक्ष्याभदयविषये दशम समुल्ला सम्पूर्ण ॥ १० ॥ मामायस्पबद्धः I है