पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/२९९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

उतर: को अर्घकादशलुल्लाखार भी । अर्थाSSथ्यवर्गीयमतखण्डलमण्डले विधायमः ॥

आम आयुर्थ लोगों के कि जो आतथ्यवर्दी देश में बसनेवाले हैं उनके मत का खण्डन तथा मण्डन का विधान करेंगे । यह आय्यावत्तेदेश ऐसा है जिसके सदृश भूगोल में दूसरा कोई देश नहीं है इसलिये इ भूमि का नाम सुवर्णभूमि है क्योंकि यही सुवदि रनों को उत्पन्न कक्रेती है इसीलिये ष्टि की आदि में आधे लोग 'इसी देश में आकर बसे इसलिये हम रवृष्टिविषय में कक्षु आये है कि आर्य नास उम्सम पु ों का है और आर्थों से भिन्न मनुष्यों का नाम दस्यु है जितने भूगोल गे श हैं वे सब इसी देश की प्रशसा करते और आशा रखते है कि पारसमणि पथर सुना जाता है वह बात तो झूठी है परन्तु आतयों से देश ही सच्चा पारसमणि है कि जिसको लोहेरूप दरिद्र विदेशी छूते के साथ ही सुवर्ण अथोत् धन: ह्य होजाते है । ९ में एतद्देशप्रसूतस्य कायदजन्नः । स्वं ट्वं चरिर्जी शिक्षेरन् टथियां सर्वमानवाः । महु० २1२० ॥ yि w रष्टि से ले के पांच सहस्र बर्षों से पूर्व समय पर्यन्त आय का स। भग चध- 2 | क्रवर्ती अन भूगोल में सर्वोपरि एकमात्र राज्य था अन्य देश में माडलि क अयीन छोटे २ राजा रहते थे क्योंकि कौर पांडपर्यन्स यहां के राज्य और राजशासन में सब भूगोल के सब राजा और प्रजा चले थे क्योंकि यह मनुस्मृति जो टि की ! आदि में हुई हूं ई का प्रमाण हूं । इसके अभाव म में उत्पन्न हुए त्राण न है