पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/३०९

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एकादशसमुल्लास: । । २९९ हालां पिबति दीक्षितस्य मन्दिर सुतो निशायां गणि कागृहे । विराजते कौलवचक्रवर्ती ॥ जो दीक्षित अर्थात् कलार के घर में जाके बोतल पर बोतल चढ़ावे रण्डियों के घर में जाके उनसे कुकर्म करके सोवे जो इत्यादि कर्म निर्लज्ज नि:श होकर करे बही वाममार्गियों में सर्वोपरि मुख्य चक्रवर्ती राजा के समान माना जाता है । त् जो बड़ा लुक बही उनमें बड़ा और जो अच्छे काम करे और बुरे कामों से डरे वही छोटा क्योंकि. पाश्रद्धा अवेज्जोवः पा-मुक्कई सदा शिवः है। बालसंकलन तन्न । श्लोक ४३ ॥

एस T तन्त्र । में कहते हैं कि जई लकलज, शाबलगाकुलतsता, शिलज्जा आदि पाशोंमें बंधा है वह जीव और जो निर्लज्ज होकर बुरे काम करे वही सदा शिव है ।" उस तन्न आiद में एक प्रयोग iलेख है r एक घर में चारों आर आ लय हों उनमें से के बोतल भर के धर देवे इस आलय से एक बोतल पीछे दूसरे आ लय पर जावे उसमें से पी तीसरे और तीसरे में से पीके चौथे आलय जाबे खडा म ९ तबतक मच पवं कि जबतक लकड़ी के समान पृथिवी में न गिर पड़े फिर जब नशा उतरे तब उसी प्रकार पीकर गिर पड़े पुन तीसरी वार इसी प्रकार पी के गिरके उठे तो उसका पुनर्जन्म न हो थोंत्सच तो यह है कि ऐसे २ मनुष्यों का पुन: मनुष्य जन्म होना ही कठिन है किन्तु नीच योनि में पड़कर बहुक।ल पर्यन्त पड़ा रहेगा । । बामियों के तन्त्र ग्रन्थों में यहू नियम है कि एक माता की छोड के किसी अंच को भी न छोडना चाहिये अथत चाहे कन्या हो वाभगिनी आदि क्यों न हो सब के साथ संगम करना चाहिये इन वाममार्गियों में दश महाविद्या प्रसिद्ध हैं उनमें से एक मतद्भव विद्यावाला कता है रीके 'सातरमपि न त्यजेत् अर्थात् माता को भी समागम किये बिना न छोड़ना चाहिये और स्त्री पुरुष के समागम समय में मन्त्र जपत है कि हम को सिद्धि प्राप्त होजाय ऐसे पागल महमूर्स मनुष्य भी संसार से बहुत न्यून होंगे । जो मनुय झूठ चलाना चाहता है यह समय की निन्दा अ - श्य ही करता है देखो ' व मगरा क्या कह दें वंद श' आर पुराण ये सव समान्य वेश्याओं के समान हैं और जो यथइ शrभवी बास मार्ग की गुत्र ई द8 गुकुल की बी के तुल्य है इसीलिये इन लोगों में केवल वेदविरुद्र मत बt किया