पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/३२

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सहित होने से सगुण । ऐसे ही परमेश्वर में भी समझना चाहिये। “अन्तर्यन्तु नियन्तुं शीलं यस्य सोऽयमन्तर्यामी” जो सब प्राणि और अप्राणिरूप जगत् के भीतर व्यापक होके सब का नियम करता है इसलिये उस परमेश्वर का नाम “अन्तर्यामी” है । “यो धर्मे राजते स धर्मराजः” जो धर्म ही में प्रकाशमान और अधर्म से रहित धर्म ही का प्रकाश करता है इसलिये उस परमेश्वर का नाम “धर्म्मराज” है । (यमु उपरमे) इस धातु से “यम” शब्द सिद्ध होता है “यः सर्वान् प्राणिनो नियच्छति स यमः” जो सब प्राणियों को कर्मफल देने की व्यवस्था करता और सब अन्यायों से पृथक् रहता है इसलिये परमात्मा का नाम “यम” है । (भज सेवायाम्) इस धातु से “भग” इससे मतुप् होने से “भगवान्” शब्द सिद्ध होता है। “भगः सकलैश्वर्य्य सेवन वा विद्यते यस्य स भगवान्” जो समग्र ऐश्वर्य से युक्त वा भजने के योग्य है इसलिये उस ईश्वर का नाम “भगवान्” है । (मन ज्ञाने) धातु से “मनु” शब्द बनता है “यो मन्यते स मनुः” जो मनु अर्थात् विज्ञानशील और मानने योग्य है इसलिये उस ईश्वर का नाम “मनु” है। (पॄ पालनपूरणयोः) इस धातु से “पुरुष” शब्द सिद्ध हुआ है “यः स्वव्याप्त्या चराऽचरं जगत् पृणाति पूरयति वा स पुरुषः” जो सब जगत् में पूर्ण हो रहा है इसलिये उस परमेश्वर का नाम “पुरुष” है। (डुभृञ् धारणपोषणयोः) “विश्व” पूर्वक इस धातु से “विश्वम्भर” शब्द सिद्ध होता है “यो विश्वं विभर्त्ति धरति पुष्णाति वा स विश्वम्भरा जगदीश्वरः” जो जगत् का धारण और पोषण करता है इसलिये उस परमेश्वर का नाम “विश्वम्भर” है । (कल संख्याने) इस धातु से “काल” शब्द बना है “कलयति संख्याति सर्वान् पदार्थान् स कालः” जो जगत् के सब पदार्थ और जीवों की संख्या करता है इसलिये उस परमेश्वर का नाम “काल” है । (शिष्लृ विशेषणे) इस धातु से “शेष” शब्द सिद्ध होता है “यः शिष्यते स शेषः” जो उत्पत्ति और प्रलय से शेष अर्थात् बच रहा है इसलिये उस परमात्मा का नाम “शेष” है । (आप्ल व्याप्तौ) इस धातु से “आप्त” शब्द सिद्ध होता है। “यः सर्वान् धर्मात्मन आप्नोति वा सर्वैर्धर्मात्मभिराप्यते छलादिरहितः स आप्तः” जो सत्योपदेशक, सकल विद्यायुक्त सब धर्मात्माओं को प्राप्त होता और धर्मात्माओं से प्राप्त होने योग्य, छल कपटादि से रहित है इसलिये उस परमात्मा का नाम “आप्त” है। (डुकृञ् करणे ) “शम्” पूर्वक इस धातु से “शङ्कर” शब्द सिद्ध हुआ है “यः शङ्कल्याणं सुखं करोति स शङ्करः” जो कल्याण अर्थात् सुख का करनेहारा है इससे