पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/३२७

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एकादशसमुल्लास: ।। प्रमाण न करेगा इसलिये व्यास आदि अषि मुनियों के नाम थरके पुराण बनाये । नाम भी इनका वास्तव में नवीन रखना चाहिये था परन्तु जैसे कोई दरिद्र अपने बेटे का नाम महाराजाधिराज र अधुनिक पदार्थ का नाम सनातन रख दे तो क्या आश्चर्य है ? अब इनके आपस के जैसे झगडे है वैसे ही पुराणों में भी धरे हैं। देखो ! देवीभागवत मे *श्र, नाम एक देवी स्त्री जी श्रीपुर की स्वामिनालखी है उसी ने सब जगत् को बनाया और ब्रह्मा विष्णु महादेव को भी उसी ने रचाउस देवी की इच्छा हुई तब उसने अपना हाथ घिसा उस से हाथ में एक छाला हुआ। उसमें से ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई उससे देवी ने कहा कि तू मुझ से विवाह कर ब्रह्मा ने कहा कि तू मेरी माता है मैं तुझ से विवाह नहीं कर सकता ऐमा सुनकर माता को झोध चढ़ा और लड़के को भस्म कर दिया और फिर हाथ घिसके उसी प्रकार दूसरा लड़का उत्पन्न किया उसका नाम विष्णु रक्खा उससे भी उसी प्रकार कहा उसने न माना तो उसको भी भस्म कर दिया पुन: उसी प्रकार तीसरे लड़के को उत्पन्न किया उसका नाम महादेव रक्खा और उससे कहा कि तू मुझ से विवाह कर महादेव चोला कि मैं तुझ से विवाह नहीं कर सकता त दुमरा ची का शरीर धारण कर बैंमा ही देवी ने किया सव महादेब बोला कि यह दो ठिकाने खसी क्या पड़ी है ? देवी ने कहा कि थे दोनों तेरे भाई हैं इन्होंने मेरी अाज्ञा ने मानी इसलिये भस्म कर दिये ह देव ने कहा कि मैं अकेला क्या करूगा ? इन जिला दे और दो स्त्री र उत्पन्न कर तीन का विवाह तीनों से होगा ऐसा ही देवी ने किया फिर तीनो का तीनों के साथ विवाह दु । वाहरे | माता से विवाह न किया और वहिन से कर लि ! क्या इम* इन्धित समझना चाहिये ? पश्चात् इन्द्रादि को उत्पन्न किया ब्रह्मा, विशु, रुड़ और इन्द्र इनको पालकी के उठानेवाले कहार बनाया इत्यादि गपडे ल चे मनाने लिखे हैं । कोई उनसे पूछे कि उस देवी का शरीर ‘र उस पुर । बनानेवाला और देवी के पिता माता कौन थे ? जो कहो कि देर्वा अनादि है तो जो भर्यान्चे वम्तु है वह अनादि कभी नहीं हो सकती, जो नाता पुत्र के विवाद करन : ? तो भाई बहिन के विवाह में कौन सी अच्छी बात निकरात ३इन भन्नत ग महादेव, विष्णु और जहादि की क्षुद्रता -प्रौर देवी का बड़ा :: a द्वार शिवपुराण में देवी आदि की बहुत जता लियो । अर्थन में 4 .:: : : | और महादेव सब का इश्वर है जो रुद्र' अर्थान : ६ : ४६ .:: ::