पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/३५८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

सत्यार्थप्रकाश. ।। तथा जैमिनि आदि शिष्यों को पढ़ाये भी थे नहीं तो उनका जन्म का नाम कृष्णद्वैपायन था जो कोई यह कहते हैं कि वेदो को व्यासजी ने इकड़े किये अह वात झूठी है क्योंकि व्यासजी के पिता, पितामह, प्रपितामह, पराशर शक्ति, वाशिष्ठ और ब्रह्मा आदि ने भी चारों वेद पढ़े थे यह बात क्योंकर घट सके ? ( प्रश्न ) पुराणों में सब बातें झूठी हैं वा कोई सच्ची भी है ? ( उत्तर ) बहुतसी वाते झूठी हैं और कोई बुणाक्षरन्याय से सच भी है जो सच्ची है वह वेदादि सत्यशास्त्रों की और जो झूठी हैं वे इन पोपों के पुराणरूप घर की है। जैसे शिवपुराण में शैव ने शिव को परमेश्वर मानके विष्णु, ब्रह्मा, इन्द्र, गणेश और सूयदि को उनके दास ठहराये । वैष्णव ने विष्णुपुराण आदि में विष्णु को परमात्मा माना और शिव आदि को विष्णु के दास । देवीभागवत में देवी को परमेश्वरी और शिव, विष्णु आदि को उसके किंकर बनाये, गणेशखण्ड में गणेश को ईश्वर और शेप सव को दास बनाये। भला यह बात इन सम्प्रदायी लागू की नही तो किनकी है ? एक मनुष्य के वनाने में ऐसः परस्पर विरुद्ध वात नही होती तो विद्वान् के बनाये में कभी नहीं आ सकती इसमें एक बात को सच माने तो दूसरी झूठी और जो दूसरी को सच्ची मानें तो तीसरी झूठी और जो तीसरी को सच्ची मानें तो अन्य सब झूठी होती हैं। शिवपुराणवाले शिव स, विष्णुपुराणवालों ने विष्णु से, देवीपुराणवाले ने देवी से, गणेशखण्डवाले ने गणेश से, सुर्यपुराणवाले ने सूर्य से और वायुपुराणवाले ने वायु से सृष्टि की उत्पत्ति प्रलय लिख के पुनः एक एक से एक एक जो जगत् के कारण लिखे उनकी उत्पत्ति एक एक से लिखी। कोई पूछे कि जो जगत् की उत्पत्ति स्थिति प्रलय करनेवाला है। वह उत्पन्न और जो उत्पन्न होता है वह सृष्टि का कारण कभी हो सकता है वा नहीं ? तो केवल चुप रहने के सिवाय कुछ भी नहीं कह सकते और इन सब के शरीर की उत्पत्ति भी इसी से हुई होगी फिर वे अाप सृष्टिपदार्थ और परिच्छिन्न होकर संसार की उत्पत्ति के कर्ता क्योंकर हो सकते हैं ? और उत्पत्ति भी विलक्षण २ प्रकार से मानी है जो कि सर्वथा असम्भव है जैसेः-- शिवपुराण में शिव ने इन्छ। की कि मैं सष्टि करू तो एक नारायण जलाशय को उत्पन्न कर उनको नाभी से कमळ, कमल में से ब्रह्मा उत्पन्न हुआ 3 ने देखा कि मेय जलमय है जल की अञ्जाल उठा देख जल में पटक दी उससे एक चुदा | इटा र बुबुदे में से एक पल्प उत्पन्न हुमा, उमने ब्रह्मा से कहा कि हे पुत्र ! नाष्टि