पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/३७०

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| सत्यार्थप्रकाशः ॥ लेवे।( प्रश्न) क्या गरुडपुराण भी झूठा है ? (उत्तर) हां असत्य है। ( प्रश्न ) फिर , मरे हुए जीव की क्या गति होती है ? ( उत्तर ) जैसे उसके कर्म हैं ( प्रश्न ) जो यमराज राजा, चित्रगुप्त मन्त्री, उसके बड़े भयङ्कर गण कजल के पर्वत के तुल्य शरीरवाल जीव को पकड़ कर ले जाते हैं पाप पुण्य के अनुसार नरक स्वर्ग में डालते हैं उसके लिये दान, पुण्य, श्राद्ध, तर्पण, गोदानादि वैतरणी नदी तरने के लिये करते हैं ये सब बाते झूठ क्योकर हो सकती है ? ( उत्तर ) ये सब बातें पोपलीना के गपोड़े हैं जो अन्यत्र के जीव वहां जाते हैं उनका धर्मराज चित्रगुप्त आदि न्याय करते है तो वे यमलोक के जीव पाप करें तो दूसरा यमलोक मानना चाहिये कि वहां के न्यायाधीश उनका न्याय करें और पर्वत के समान यमगणों के शरीर हों तो दीखते क्यों नहीं है और मरनेवाले जीव को लेने में छोटे द्वार में उनकी एक अंगुल भी नहीं जा सकती और सड़क गलो में क्यों नहीं रुक जाते जो कहो कि वे मूक्ष्म देह भी धारण कर लेते हैं तो प्रथम पर्वतवत् शरीर के वडे २ हाड पोपजो बिना अपने घर के कहा धरेंगे ? जय जङ्गल में आग लगता है तब एक दम पिपीलि कादि जीवों के शरीर छूटते हैं उनको पकड़ने के लिये असख्य यम के गण अवे तो वहा अन्धकार होजाना चाहिये और जब आपस में जीवों को पकड़ने को दौड़ेंगे तब कभी उनके शरीर ठोकर खाजायगे तो जैसे पहाड के बडे २ शिखर दृट कर पृथिवी पर गिरते हैं वैसे उनके बड़े २ अवयव गरुडपुराण के वचन सुननेवालों के आगन में गिर पड़ेंगे तो वे दव मरेंगे व घर का द्वार अथवा सड़क रुक जायगी तो वे कैसे निकल और चल सकेंगे ? श्राद्ध, तर्पण, पिण्डदान उन मरे हुए जोवा का तो नहीं पहुचता किन्तु मृतकों के प्रतिनिधि पोपजो के घर, उदर और हाथ में पहुचता है। जो वैतरणी के लिये गोदान लेते है वह तो पोपजी के घर में अथवा कसाई आदि के घर में पहुचता है वैतरणी पर गाये नहीं जाती पुन | किम की पूंछ पकड़ कर तरेगा और हाथ तो यहाँ जलाया वा गाड़ दिया गया फिर पूंछ को कैसे पकडेगा ? यहा एक दृष्टान्त इस बात में उपयुक्त है कि: १६ जाट यो उमके घर में एक राय बहुत अच्छा और बीस सेर दूध देनेवाला था, म उसका उदा स्वादिष्ट होता था, कभी २ पापजा के मुख में भी पड़ता था, उस ८ २३ इन दो ध्यान उर रहा था कि जब जाट का दुइहा बाप मरने लगेगा तब १३ र १४ संप करना। छ दिनों में दैवयोग में उसके बाप का मरणसमय