पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/४०१

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एकादशसमुल्लासः || उसको नाक कान काट डालने का दंड किया जव उसकी नाक काटी गई तब वह धूर्त नाचने गाने और हँसने लगा लोगों ने पूछा कि तू क्यों हँसता है ? उसने कहा कुछ कहने की बात नहीं है ! लोगों ने पूछा ऐसी कौनसी बात है ? उसने कहा बड़ी भारी अाश्चर्य की बात है हमने ऐसा कभी नहीं देखी लोगों ने कहा कहो, क्या बात है ? उसने कहा कि मेरे सामने साक्षात् चतुर्भुज नारायण खड़े मैं देखकर बड़ा प्रसन्न होकर नाचता गाता अपने भाग्य को धन्यवाद देता हूं कि मैं नारायण का साक्षात दर्शन कर रहा है। लोगों ने कहा हमको दर्शन क्यों नही होता है वह बोला नाक की आड़ हो रही है जो नाक कदवा डालो तो नारायण दीखे नहीं तो नहीं। उनमें से किसी मूर्ख ने चाहा कि नाक जाय तो जाय परन्तु नारायण का दर्शन अवश्य करना चाहिये, उसने कहा कि मेरी भी नाक काटो नारायण को दिखलाओ, उसने उसकी नाक काट कर कान में कहा कि तू भी ऐसा ही कर नहीं तो मेरा और तेरा उपहास होगा । उसने भी समझा कि अब नाक तो आती नहीं इसलिये ऐसा ही कहना ठीक है तब तो वह भी वहां उसी के समान नाचने, कूदने, गाने, बजाने, हँसने और कहने लगा कि मुझको भी नारायण दीखता है वैसे होते २ एक सहस्र मनुष्यों का झुंड होगया और बड़ा कोलाहल मचा और अपने संप्रदाय का नाम "नारायणदर्श' रक्खा किसी मूर्ख राजा ने सुना उनको बुलाया जब राजा उनके पास गया तवे तो वे बहुत कुछ नाचने, कूदने, हँसने लगे तब राजा ने पूछा कि यह क्या वात है ? उन्होंने कहा कि साक्षात् नारायण हमको दीखता है ।( राजा ) हमको क्यों नही दीखता ? ( नारायणदर्शी ) जबतक नाक है तबतक नहीं दीखेगा और जब नाक कटवा लोगे तव नारायण प्रत्यक्ष दीखेगे । उस राजा ने विचारा कि यह बात ठीक है राजा ने कहा ज्योतिषीजी मुहूर्त देखिये । ज्योतिषीजी ने उत्तर दिया जो हुक्म, अन्नदाता, दशमी के दिन प्रातःकाल आठ बजे नाक कटवाने और नारायण के दर्शन करने का बड़ा अच्छा मुहूर्त है। वाहरे पोपजी | अपनी पोथी में नाक काटने कटवाने का भी मुहूर्त लिख दिया जब राजा की इच्छा हुई और उन सहन्न नकट के सीधे बांध दिये तब तो वे बड़े ही प्रसन्न होकर नाचने कूदने और गाने लगे यह बात राजा के दीवान आदि कुछ २ बुद्धिवालों को अच्छी न लगी राजा के एक चार पीढी का बूढा ६० वर्ष का दीवान था उसको जाकर उसके परपोते ने जो कि उस समय दीवान था वह बात सुनाई तब उस वृद्ध ने कहा कि वे धूर्त हैं तू मुझ को राजा के पास ले चल, वह लगया । बैठते समय राजा ने बड़े हर्षित होके उन