पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/४०८

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| सत्यार्थप्रकाशः ॥ ==

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== के सदृश झर्म न करने चाहियें किन्तु जिस में उनकी और अपनी दिन २ प्रति | उन्नति हो वैसे कर्म करने उचित हैं । ( प्रश्न ) हम कोई पुस्तक ईश्वरप्रणीत वा | सर्वाश सत्य नहीं मानते क्योंकि मनुष्यों की युद्धि निर्भ्रान्त नहीं होती इससे उनके । बनाये ग्रन्थ सब भ्रान्त होते हैं इसलिये हम सब से सत्य ग्रहण करते और अ। सत्य को छोड़ देते हैं चाहे सत्यवेद में, बाइबिल में वा कुरान में और अन्य किसी ग्रन्थ में हो हम को ग्राह्य है असत्य किसी का नहीं।( उत्तर ) जिस बात से तुम सत्यग्राही होना चाहते हो उसी बात से असत्अग्राही भी ठहरते हो क्योंकि जब सब मनुष्य भ्रान्तिं। हित नहीं हो सकते तो तुम भी मनुष्य होने से भ्रान्तिसहित हो जव भ्रान्तिसहित के वचन सवश मे प्रामाणिक नहीं होते तो तुम्हारे वचन का भी विश्वास नहीं होगा । फिर तुम्हारे वचन पर भी सर्वथा विश्वास न करना चाहिये जब ऐसा है तो विषयुक्त : अन्न के समान त्याग के योग्य हैं फिर तुम्हारे व्याख्यान पुस्तक बनाये का प्रमाण किसी को भी न करना चाहिये ‘‘चले तो चौबे जी छब्वेजी बनने को गांठ के दो खोकर दुवे गी वन गये' कुछ तुम सर्वज्ञ नहीं जैसे कि अन्य मनुष्य सर्वज्ञ नहीं हैं। कदाचित् भ्रम से असत्य को ग्रहण कर सत्य छाड भी देते होंगे इसलिये सर्वज्ञ परमान्मा के वचन का सहाय हेम अल्पज्ञों को अवश्य होना चाहिये जैसा कि वेद के व्याख्यान में लिख आये हैं वैसा तुमको अवश्य ही मानना चाहिये नहीं तो ‘यतो भ्रष्टस्ततो भ्रष्ट हो जाना है जव सर्व सत्य वेदों से प्राप्त होता है जिनमें असत्य कुछ भी नहीं तो उनका ग्रहण करने में शंका करनी अपनी और पराई हानिमात्र कर लेनी है इसी बात से तुमको अाय्यवर्तीय लोग अपने नहीं समझते और तुम अग्यवर्त की उन्नति के कारण भी नहीं हो सके क्योंकि तुम सब घर के भिक्षुक ठहरे हो तुमने समझा है कि इस बात से हम लोग अपना प्रौर पराया उपकार कर सकेंगे सो न कर सकोगे जैसे किसी के दो ही माता पिता सब संसार के लड़कों का पालन करने लगे सब का पालन करना तो असंभव है किन्तु इस बात से अपने लड़कों को भी नष्ट कर बैठे वैसे ही । : अप लोगों की गति है भला वेदादि सत्यशास्त्रों को माने विना तुम अपने वचनों की सत्यता और प्रमत्यता की परीक्षा और अर्यावर्त की उन्नति भी कभी कर सकते हो? जिस देश । को न झुप्रा है उस की पधि तुम्हारे पास नहीं और यूरोपियन लोग तुम्हारी अ| १३ न करने और प्रायवित्तीय लोन तुगको अन्य मतियों के सदृश समझते हैं,