पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/४०९

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एकादुशसमुल्लास. ।। अव भी समझ कर वेदादि के मान्य से देशोन्नति करने लगा तो भी अच्छा है जो तुम यह कहते हो कि सब सय परमेश्वर से प्रकाशित होता है पुन. ऋषियों के आत्माओं में ईश्वर से प्रकाशित हुए सत्यार्थ वेदों को क्यों नहीं मानते ? हां, यही कारण है कि तुम लोग वेद नहीं पढ़ और न पढने की इच्छा करते हो क्योंकर तुमको वेदोक्त ज्ञान होसकेगा ? । ६-दूसरा जगत् के उपादान कारण के विना जगत् की उत्पत्ति और जीव को भी उत्पन्न मानते हो जैसा ईसाई और मुसलमान आदि मानते हैं इसका उत्तर सट्युत्पत्ति और जीवेश्वर की व्याख्या में देख लीजिये, कारण के विना कार्य का होना मर्वथा असम्भव और उत्पन्न वस्तु का नाश न होना भी वैसा ही असम्भव है। ७–एक यह भी तुम्हारा दोष है जो पश्चात्ताप और प्रार्थना से पापों की निवृत्ति मानते हो इसी बात से जगत् में बहुतसे पाप बढ़ गये हैं क्योंकि पुराणी लोग तीर्थादि यात्रा से, जैनी लोग भी नवकार मन्त्र जप और तीर्थादि से, ईसाई लोग ईसा के विश्वास से, मुसलमान लोग तोबा. करने से पाप का छूटजाना विना भोग के मानते है इससे पाप से भय न होकर पाप में प्रवृत्ति बहुत होगई है। इस बात में ब्राह्म और प्रार्थनासमाजो भी पुराणी आदि के समान हैं जो वेदों को सुनते तो विना भोग के पाप पुण्य की निवृत्ति न होने से पापों से डरते और धर्म में सदा प्रवृत्त रहते जो भोग के विना निवृत्ति माने तो ईश्वर अन्यायकारी होता है। ८-जो तुम जीव की अनन्त उन्नति मानते हो सो कभी नहीं हो सकती क्योंकि ससीम जीव के गुण कर्म स्वभाव का फल भी ससीम होना अवश्य है । (प्रश्न) परमेश्वर दयालु है ससीम कर्मों का फल अनन्त दे देगा । (उत्तर ) ऐसा करे तो परमेश्वर को न्याय नष्ट होजाय और सत्कम की उन्नति भी कोई न करेगा क्योंकि थोडे से भी सत्कर्म का अनन्त फल परमेश्वर देगा और पश्चात्ताप व प्रार्थना से पाप चाहे जितने हों छूट जायगे ऐसी बात से धर्म की हानि और पाप कम की वृद्धि होती है । ( प्रश्न ) हम स्वाभाविक ज्ञान को वेद से भी बड़ा मानते हैं नैमित्तिक को नहीं क्योंकि जो स्वाभाविक ज्ञान परमेश्वरदत्त हम में न होता तो वेदों को भी कैसे पढ़ पढ़ा समझ समझा सकते इसलिये हम लोगों का मत बहुत अच्छा है । ( उत्तर ) यह तुम्हारी वात निरर्थक है क्योंकि जो किसी का दिया हुआ ज्ञान होता है वह स्वाभाविक नहीं होता जे स्वाभाविक है वह सहज ज्ञान होता है और न वह घट बढ़ सकता उससे उन्नति कोई भी नहीं कर सकता क्योंकि अगली मनुष्यें में