पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/४२०

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४ १४ सत्यार्थप्रकाशः !! | यह आर्यावर्त्त निवासी लोगों के मत विषय में संक्षेप से लिखा इसके आगे जो थोडासा अर्थराजाओं का इतिहास मिला है इसको सब सज्जन को जनाने के लिये प्रकाशित किया जाता है । अब आर्यावर्त देशीय राजवंश कि जिसमें श्रीमान् महाराज युधिष्ठिर' से लेके महाराज “यशपाल पर्यन्त हुए है उस इतिहास को लिखते हैं। और श्रीमान् महाराज ‘स्वायंभव' मनु से लेके महाराज युधिष्ठिर पर्यन्त का इतिहास महाभारतादि में लिखा ही है और इससे सजन लोगों को इधर के कुछ इतिहास का वर्तमान विदित होगा यद्यपि यह विषय विद्यार्थी सम्मिलित ‘हरिश्चन्द्रचन्द्रिका और 'मोहनचन्द्रिका जो कि पाक्षिकपत्र श्रीनाथद्वारे से निकलता था ( जो राजपूताना देश मेवाड़ राज उदयपुर चित्तौडगढ़ में सबको विदित है ) उससे हमने अनुवाद किया है। यदि ऐसे ही हमारे आर्य सज्जन लोग इतिहास और विद्या पुस्तकों का खोज कर प्रकाश करेंगे तो देश को बड़ा ही लाभ पहुचेगा । उस पत्र के सपादक महाशय ने अपने मित्र से एक प्राचीन पुस्तक जो कि विक्रम के संवत् १७८२ (सत्रह सौ बयासी) का लिखा हुआ था उससे ग्रहण कर अपने संवत् १९३९ मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष १९-२० किरण अर्थात् दो पाक्षिकपत्रों में छापा है सो निम्नलिखे प्रमाणे जानिये । अय्यिवर्तदेशीय राजवंशावली । इन्द्रप्रस्थ में आर्य लोगों ने श्रीमन्महाराज यशपाल पर्यन्त राज्य किया जिनमे श्रीमन्महाराजे “युधिष्ठिर" से महाराजे यशपाल तक वंश अर्थात् पीढ़ी अनुमान १२४ ( एकसौ चौवीस ) राजा वर्ष ४१५७ मास १ दिन १४ समय ! में हुए हैं इनका व्यौरा.राजा शक वर्ष सास दिन | आर्यराजा वर्ष मास दिन । आर्यराजा १२४ ४१५७ १ १४ | ३ राजा जनमेजय ८४७ २३ श्रीमन्महाराजे युधिष्ठिरादि वंश अनु- ४ राजा अश्वमेध ८२८ २२ मान पीढी ३० वर्ष १७७० मास ११ ।। ५ द्वितीयराम ८८ २ दिन १० इन का विस्तार ---- ६ छत्रमण ८१ १ १ २७ अर्यराजा वर्ष मास दिन । ७ चित्ररथ ७५ । १ राजा युधिष्ठिर ३६८ २५ ।। ८ दुष्टशैल्य | २ राजा परीक्षित ६० ० ० ९ राजा उग्रसेन ७८ ७