पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/४५१

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द्वादशभुल्लाः || सारसंग्रह है ऐसा रत्नसारभाग पृ० १४८ में लिखा है कि पृथिवीकाय के जीव मट्टी पाषाणादि पृथिवी के भेद जानना, उनमें रहने वाले जीवों के शरीर की परिमाण एक अगुल का असंख्यातवां समझना, अर्थात् अतीव सूक्ष्म होते हैं उनका आयुमान अर्थात् वे अधिक से अधिक २२ सहस्र वर्ष पर्यन्त जीते है । (रत्न० पृ० १४९ ) वनस्पति के एक शरीर में अनन्त जीव होते है वे साधारण वनस्पति कहाती है जो कि कन्दमूलप्रमुख और अनन्तकायप्रमुख होते है उनको साधारण वनस्पति के जीव कहने चाहियें उनका आयुमान अन्तमुहूर्त होता है परन्तु यहा पूर्वोक्त इनकी मुहूर्त समझना चाहिये और एक शरीर में जो एकेन्द्रिय अर्थात् स्पर्श इन्द्रिय इन में है और उसमें एक जीव रहता है उसको प्रत्येक वनस्पति कहते हैं उसका देहमान एक सइस योजन अर्थात् पुराणियों का योजन ४ कोश का परन्तु जैनियों को योजन१०००० दश सहस्र कोशों का होता है ऐसे चार सहस्र कोश का शरीर होता है उसका आयुमान अधिक से अधिक दश सहस्र वर्ष का होता है अब दो इन्द्रियवाले जीव अर्थात् एक उनका शरीर और एक मुख जो शख कौड़ी और जू आदि होते हैं उनका देहमान अधिक से अधिक अड़तालीस कोश का स्थूल शरीर होता है। और उनका अयुमन अधिक से अधिक बारह वर्ष का होता है, यहां बहुत ही भूल गया क्योंकि इतने बड़े शरीर का अायु अधिक लिखता और अड़तालीस कोश की स्थूल जू जैनियों के शरीर में पड़ती होगी और उन्हीं ने देखी भी होगी और का भाग्य ऐसा कहा जो इतनी बडी जू को देखे !! (रत्नखार भाग० पृ० १५०) और देखो ! इनका अन्धाधुन्ध बछु, बगाई, कसारी और मक्खी एक योजन के शरीर वाले होते है इनका आयुमान अधिक से अधिक छ: महीने की है। देखो भाई' चार २ कोश का वछि अन्य किसी ने देखा न होगा जो आठ मील तक का शरीरवाला वीछू और मक्खी भी जैनियों के मत में होती हैं ऐसे बीछू और मक्खी उन्हीं के घर में रहते होंगे और उन्ही ने देखे होंगे अन्य किसी ने संसार में नहीं देखे होंगे कभी ऐसे वीछु किसी जैनी को काटें तो उसका क्या होता होगा ! जलचर मच्छी आदि के शरीर का मान एक सहन्न योजन अर्थात् १०००० कोश के योजन के हिसाब से १००००००० एक क्रोड कोश का शरीर होता है और एक कोड़ पूर्व वर्षों का इनका यु होता है वैसा स्थूल जलचर सिवाय जैनियों के अन्य किसी ने न देखा होगा । और चतुष्पद हाथी शादि का देहमान दो कोश से नव कोशपर्यन्त और युमन चौरासी सहल वर्षे का यादि,