पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/४९४

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AAAAAAAAAAAAQAAAAAQADATE अथ त्रयोदशसमुल्लासारम्भः॥ अथ कृश्चीनमतविषयं समीक्षिष्यामः ॥ -- --


--- -- - -- अव इसके आगे ईसाइयों के मत विषय में लिखते हैं जिससे सब को विदित । होजाय कि इनको मत निर्दोष और इनकी वाइवले पुस्तक ईश्वरकृत हैं वा नहीं है। प्रथम बाइबल के तौरेत का विषय लिखा जाता है.-- ' । १-आरम्भ में ईश्वर ने आकाश और पृथिवी को सृजा और पृथिवी बडोले और सुनी थी ! और गहिराव पर अन्धियारा था और ईश्वर का आत्मा जले के ऊपर डोलता - था ।। १३ १ } आय० १ । २ ।। । समीक्षक--आरम्भ किसको कहते हो ? (ईसाई) सृष्टि के प्रथमोत्पत्ति को । १ समीक्षक ) क्या यही सृष्टि प्रथम हुई इसके पूर्व कभी नहीं हुई थी ? (ईसाई) हम नहीं जानते हुई थी वो नहीं ईश्वर जाने । (समीक्षक ) जब नहीं जानते तो इस पुस्तक पर विश्वास क्यों किया ? कि जिससे सन्देह का निवारण नहीं होसकता और इसी के भरोसे लोगों को उपदेश कर इस सन्देह के भरे हुए मत में क्यें फंसाते होरि । निःसंदेह सर्वशंकानिवारक वेदमत को स्वीकार क्यों नहीं करते ? जब तुम ईश्वर की सृष्टि का हाल नहीं जानते तो ईश्वर को कैसे जानते होगे ? आकाश किसको मानते हैं : (देसाई) पल और ऊपर को ! समीक्षक) पोल की उत्पत्ति किस प्रकार हुई क्योंकि यह विभु पदार्थ और असूक्ष्म है और ऊपर नीचे एकसाई । जव आकाश नहीं सृजा भी तव पोल और शाकाश था वा नहीं है जो नहीं था तो ईश्वर जगत का कारण र जीव कहां रहते थे ! विना अवकाश के कोई पदार्थ स्थित नहीं होसकता इसलिये नः प्राइचल का कथन युक्त नह। ईश्वर मेडल, उसका ज्ञान में बेडौल इढिा ४१ मु लचाल : इसाई, ३लया होता है। समीक्षक } तो यहां ईश्वर का बना व ३३ ६ ३ ये लिप ? (६३)बल का अर्थ यह है कि ची नोचा बा ।