पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/४९५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

त्रयोदशसमुल्लासः ।। बराबर नहीं थी । ( समीक्षक ) फिर बराबर किसने की ? और क्या अब भी ऊंची नीची नहीं है ? इसलिये ईश्वर का काम वेडौल नहीं हो सकता, क्योंकि वह सर्वज्ञ है, उसके काम में न भूल न चूक कभी हो सकती है। और बाइबल में ईश्वर की सृष्टि बेडौल लिखी इसलिये यह पुस्तक ईश्वरकृत नहीं हो सकता है । प्रथम ईश्वर का आत्मा क्या पदार्थ है ? ( ईसाई ) चैतन। ( समीक्षक ) वह साकार है वा निराकार तथा व्यापक है वा एकदेशी । (ईसाई) निराकार चेतन और व्यापक है परन्तु किसी एक सनाई पर्वत, चौथा आसमान आदि स्थानों में विशेष करके रहता है । ( समीक्षक ) जो निराकार है तो उसको किसने देखा और व्यापक का जल पर डोलना कभी नहीं हो सकता भला जब ईश्वर का आत्मा जल पर डोलता था तब ईश्वर कहां था ? इससे यही सिद्ध होता है कि ईश्वर का शरीर कहीं अन्यत्र स्थित होगा अथवा अपने कुछ आत्मा के एक टुकड़े को जल पर डुलाया होगा जो ऐसा है तो विसु और सर्वज्ञ कभी नहीं हो सकता जो विभु नहीं तो जगत् की रचना धारण पालन' और जीवों के कर्मों की व्यवस्था वा प्रलय कभी नहीं कर सुकता क्योंकि जिस पदार्थ का स्वरूप एकदेशी उसके गुण, कर्म, स्वभाव भी एकदेशी होते हैं जो ऐसा है तो वह ईश्वर नहीं हो सकता क्योंकि ईश्वर सर्वव्यापक, अनन्त गुण कर्म स्वभावयुक्त सच्चिदानन्दस्वरूप, नित्य, शुद्ध, बुद्ध, मुक्तस्वभाव, अनादि अनन्तादि लक्षणयुक्त वेदों में कहा है उसी को मानो तभी तुम्हारा कल्याण | होगा अन्यथा नहीं ॥ १ ॥ २---और ईश्वर ने कहा कि उजियाला होवे और उजियाला होगया ॥ और ईश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है । पर्व १ । ० ३ । ४ ।।। समीक्षक-क्या ईश्वर की बात जड़रूप राजयाले ने सुन ली ? जो सुनी हो तो इस समय भी सूर्य और दीप अग्नि का प्रकाश हमारी तुम्हारी बात क्यों नहीं सुनेता ? प्रकाश जड़ होता है वह कभी किसी की बात नहीं सुन सकता क्या जब ईश्वर ने उजियाले को देखा तभी जाना कि उजियाला अच्छा है ? पहिले नहीं जानता था जो जानता होता तो देखकर अच्छा क्यों कहता ? जो नहीं जानता था तो वह ईश्वर ही नहीं इसलिये तुम्हारी बाइवल ईश्वरोक्त और उसमें कहा हुआ ईश्वर सर्वज्ञ नहीं है ॥ २ ॥ ३---और ईश्वर ने कहा कि पानियों के मध्य में प्रकाश होवे और पानियों | को पानियों से विभाग करे तब ईश्वर ने आकाश को बनाया और आकाश के नीचे