पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/४९८

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सत्यार्यप्रकाशः । पसली होनी चाहिये क्योंकि वह एक पसली से बनी है क्या जिस सामग्री से सब जगत् बनाया उस सामग्री से भी का शरीर नहीं बन सकता था ? इसलिये यह बाइबल का सृष्टिक्रम सृष्टिविद्या से विरुद्ध है ॥ ६ ॥ ७-अब सर्प भूमि के हर एक पशु से जिसे परमेश्वर ईश्वर ने बनाया था धूर्व था और उसने स्त्री से कहा क्या निश्चय ईश्वर ने कहा है कि तुम इस बारी के हर एक पेड़ से न खाना ।। और स्त्री ने सप्प से कहा कि हम तो इस बारी के पेड़ों का फल खाते हैं। परन्तु इस पेड़ का फल जो बारी के बीच में है ईश्वर ने कहा कि तुम उसे न खाना और न छूना न हो कि मरजाओ ।। तब सप्र्पने स्त्री से कहा कि तुम निश्चय न मरोगे। क्योंकि ईश्वर जानता है कि जिस दिन तुम उसे खाओगे तुम्हारी आंखें खुल जायेंगी और तुम भले बुरे की पहिचान में ईश्वर के समान हो जाओगे। और जब स्त्री ने देखा वह पेड़ खाने में सस्वाद और दृष्टि में सुन्दर और बुद्धि देने के योग्य है तो उसके फल में से लिया और खाया और अपने पति को भी दिया और उसने खाया तब उन दोनों की आंखें खुल गई और वे जान गये कि हम नगे हैं सो उन्होंने अंजीर के पत्तों को मिला के सिया और अपने लिये ओढ़ना बनाया तव परमेश्वर ईश्वर ने सप्पं से कहा कि जो तू ने यह किया है इस कारण ते सारे ढोर और हर एक वन के पशुसे अधिक स्रापित होगा तू अपने पेटके बल चलेगा और अपने जीवन भर धूल खाया करेगा ।। और मैं तुझमें और बीमें और तेरे वंश और उसके वंशमें वैर डालूंगा वह तेरे शिरको कुचलेगा और तू उसकी एड़ीको काटेगा | और उसने स्त्री को कहा कि मैं तेरी पीड़ा और गर्भधारण को बहुत वढाऊंगा, तु पीडी से बालक जनेगी और तेरी इच्छा तेरे पति पर होगी और वह तुझ पर प्रभुता करेगा। और उसने आदम से कहा कि तू ने जो अपनी पत्नी को शब्द माना है और जिस पर से मैंने तुझे खाने को बर्जा था तूने खाया है इस कारण भूमि तेरे लिये सापित है अपने जीवन भर तू उससे पीड़ा के साथ खायगा और वह कांटे और ऊंट कटारे तेरे लिये उगायेगी और त खेत का साग पात खायगा ।। तौरेत उत्पत्ति० पर्व ३। अ० १ । २ । ३ । ४ । ५ । ६ । ७। ११ । १५ । १६ । १७ । १८ ॥ समीक्षक-जो ईसाइयों का ईश्वर सर्वज्ञ होता तो इस धूर्त सप्पं अर्थात् शैतान में क्या बनावा ? और जेः बनाया तो वही ईश्वर अपघ का भाग है क्योंकि | इसको दुग्न न बनाता तो वह दुष्टता क्यों करता ? और वह पूर्व जन्म नही मानव