पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५०४

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अस्यार्थप्रकाशः ॥ 05:30, 10 February 2019 (UTC)05:30, 10 February 2019 (UTC)05:30, 10 February 2019 (UTC)05:30, 10 February 2019 (UTC)05:30, 10 February 2019 (UTC)05:30, 10 February 2019 (UTC)05:30, 10 February 2019 (UTC)05:30, 10 February 2019 (UTC)05:30, 10 February 2019 (UTC)नीलम (talk) रहता था और जीवों की उन्नति भी नहीं चाहता था यह विना एक अविद्वान् के ईश्वर की बात और यह ईश्वरोक्त पुस्तक क्योंकर हो सकता है ? ॥ १६ ॥ १७-तब उसने अपनी पत्नी सरी से कहा कि देख मैं जानता हूं तू देखने में सुन्दर स्त्री है। इसलिये यों होगा कि जब मिश्री तुझे देखें तब वे कहेंगे कि यह उसकी पत्नी है और मुझे मार डालेंगे परन्तु तुझे जीती रक्खेंगे ।। तू कहियो कि मैं उसकी बहिन हूं जिससे तेरे कारण मेरा भला होय और मेरा प्राण तेरे हेतु से जीता रहे । तौ० पर्व १२ । अ० ११ । १२ । १३ ।। समीक्षक-अब देखिये ! जो अबिरहाम बड़ा पैगम्बर ईसाई और मुसलमानों का बजता है और उसके कर्म मिथ्या भाषणादि बुरे हैं, भला जिनके ऐसे पैगम्वर हों उनको विद्या वा कल्याण का मार्ग कैसे मिल सके ? ॥ १७ ॥ १८--और ईश्वर ने अबिरहाम से कहा कि तू और तेरे पीछे तेरा वश उनकी पीढियों में मेरे नियम को माने तुम मेरा नियम जो मुझ से और तुम से और तेरे पीछे तेरे वंश से है जिसे तुम मानोगे सो यह है कि तुम में से हरएक पुरुष का खवनः किया जाय। और तुम अपने शरीर की खलड़ी कादो और मेरे और तुम्हारे मध्य में नियम का चिन्ह होगा और तुम्हारी पीढ़ियों में रहे एक आठ दिन के पुरुष का खतनः किया जाय ज घर में उत्पन्न होय अथवा जो किसी परदेशी से जो तर वंश का न हो ।। रूपे से मोल लिया जाय जो तेरे घर में उत्पन्न हुअा हो और जो तेरे रूप से मोल लिया गया हो अवश्य उम्रका खतनः किया जाय और मेरा नियम तुम्हारे मांस में सर्वदा नियम के लिये होगा। गौरज अखनः बालक जिसकी सनही का खतन. न हुआ हो सो प्राणी अपने लोग से कट जाय कि उसने मेरी नियम तोड़ा है । ते० पर्व १७ । आ० ।। १० । ११ । १२ । १३ । १४ ॥ समीक्षक-अव देखिये ईश्वर की अन्यथा आज्ञा कि जो यह खतन: करना इश्वर को इष्ट होता तो उसे चमड़े को अादि सृष्टि में बनाता ही नहीं और जो यह बनाया गया है वह रक्षय है जैसा ख के ऊपर का चमड़ा क्योंकि वह गुप्तस्थान अतिकम है जो उस पर चमडा न हो। वे एक फीडी के भी काटने और थोड़ीसी • भंट ने मे बना दुःन होवे और वह लवुश के पश्चात् कुछ मूत्राश कप । ३ ३ र ३८ भदॐ : ३६ को काटना बुरा है और अन ईमाई लोग ३ ।


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