पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५०५

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= = = = == = = त्रयोदशसमुल्लासः ।। = == = | अशा को क्यों नहीं करते ? यह 'प्रज्ञा सदा के लिये है इसके ने करने से इंसा की गवाही जो कि व्यवस्था के पुस्तक का एक विन्दु भी झुठा नहीं है मिथ्या होगई इसका सोच विचार ईसाई कुछ भी नहीं करते ॥ १८ ॥ १९---जन ईश्वर अबिरहाम से बातें कर चुका तो ऊपर चला गया । ती.. १६ १७ । अ० २२ ॥ समीक्षक-इससे यह सिद्ध होता है कि ईश्वर मनुष्य वा पक्षिवत् था जो ! ऊपर से नीचे भर नीचे से ऊपर आता जाता रहता था यह काई इन्द्रजाली पुरुषवत् विदित होता है ।। १९ ।। २०-फिर ईश्वर उसे ममरे के बलूतों में दिखाई दिया और वह दिन को घाम के समय में अपने तम्बू के द्वार पर बैठा था । और उसने अपनी आखें उठाई और क्या देखा कि तीन मनुष्य उसके पास खड़े हैं और उन्हें देख के वह तम्बू के द्वार पर से उनकी भेट को दौड़ और भूमितक दण्डवत की ।। और कहा है मेरे स्वामि यदि मैंने अब अप की दृष्टि में अनुग्रह पाया है तो मैं आपकी विनती करता हूं कि अपने दास के पास से चले न जाइये ।। इच्छा होय तो थोड़ा जल लाया जय और अपने चरण धोइये और पेड़ तले विश्राम कीजिये ।। और मैं एक कौर रोटी लाऊं और आप तृप्त हूजिये उसके पीछे आगे बढ़िये क्योंकि आप 'इसीलिये अपने दास के पास आये हैं तव वे बोले कि जैसा तू ने कहा वैसा कर और अबिरहाम तम्बू में सरः पास उतावली से गया और उसे कहा कि फुरती कर और तीन नपु। चोखा पिसान ले के गूध और उसके फुल के पका !) और अबिर हाम झुड की मोर दौड़ा गया और एक अच्छा कोमल बछड़ा लेके दास को दिया उसने भी उसे सिद्ध करने में चटक किया। और उसने मक्खन और दूध और वह बछडा जो पकाया था लिया और उनके अग धरा और आप उनके पास पेड़ तले खड़ा रहा और उन्होंने खाया || तौ० पर्व १८ । अ० १ । २ । ३ । ४ । ५। ६ ।७।८ ।। समीक्षक----अव देखिये ! सज्जन लोग जिनका ईश्वर बछड़े का मांस खाये उसके उपासक गाय बछड़े आदि पशुओं को क्यों छोड़े ? जिसका कुछ दया नहीं और मांस के खाने में अतुर रहे वई विना हिंसक मनुष्य के ईश्वर कभी हो सकता है ? और ईश्वर के साथ दो मनुष्य न जाने कौन थे ? इससे विदित होता है कि जंगली मनुष्यों की एक भडली थी उनका जो प्रधान मनुष्य था उसका नाम बाइबल