पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५१

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सत्यार्थ प्रकाशू: t

. " - ४ A इत्यादि अग्निहोन के प्रत्येक मन्त्र को पढकर एक २ आहुति दवे और जो अधिक झ । हुति देना हो तो विश्वांनि देव सवितङरितानि परां सुव । यद् तन्न आसव : य० अ० ३० । ३ ॥ । इस मन्त्र और पूक्त गायत्री मन्त्र स आहुति देने ‘‘ऑओं, '’ और प्राण आादि ये सब नाम परमेश्वर के हैं इनके अर्थ कह चुके हैं ‘स्वाह शब्द का अर्थ यह है कि जैसा ज्ञान आत्मा से हो वैसा ही जीभ से बोले विपरीत नही जैसे पर मेश्वर ने सब प्राणियों के सुख के अर्थ इस सव जगत् के पदार्थ रचे है वैसे मनुष्यों को भी परोपकार करना चाहिये । ( प्रश्न ) होम से क्या उपकार होता है १ ( उत्तर ) सब लोग जानते हैं कि दुर्गन्धयुक्त वायु और जल से रोग, रोग से प्राणियों को दु ख और सुगन्धित वायु तथा जल से झारग्य और रोग के नष्ट होने से सुख प्राप्त होता है । ( प्रश्न ) चन्द्रत्नादि घिसके किसी के लगावे या वतदेि खाने को देखे तो बड़ा उपकार हो, अग्नि से डाल के व्यर्थ नष्ट करना बुद्धिमानों का काम नही 1 ( उत्तर ) जो तुम पदार्थविद्या जानते तो कभी ऐसी बात न कहते क्योंकि किसी द्रव्य का अभाव नही होता देखो जहां होम होता है वहा से दूर देश में स्थित पुरुष के नासिका से सुगन्ध का ग्रहण होता है वैसे दुर्गन्ध का भी इतने ही से सझ लो कि अग्नि में डाला हुआा पदार्थ सूक्ष्म हो के फेल के वायु के साथ दूर देश में जाकर दुर्गन्ध की निवृत्ति करता है 1 ( प्रश्न ) जब ऐसा ही है तो केशरकस्तूरीपुगन्धित पुष्प और आतर आदि के घर में रखने से सुगन्धित वायु होकर सुखकारक होगा । ' ( उत्तर ) उस सुगन्ध का बह्न सार्य नहीं है कि गृहस्थ वायु को बाहर निकाल कर शुद्ध वायु का प्रवेश करा सके क्योंकि उनमे भेद शक्ति नही है और अग्नि ही का साम है कि उस बयु पर दुर्गन्धयुक्त पार्टी को छिन्न भिन्न और करके पार निकाल कर पवित्र वायु का प्रवेश कर देता है 1 ( प्रश्न ) चे मन्त्र । " का ? उतर मन्त्र , क्या प्रयोजन है के में वह व्याख्यान पट के लोग करने के ( दें कि मिस फ्लोम करने के लाभ विटित जायें और सन्त्र की प्रार्बन्ति होने से , स्व-4, 8, धेट एम्मा वॉ का पठन पाठन यूर भी प्रश्न ) क्या इस रगश्ता हाब' ( १ ( सें व ने ६ पा १ईप इतt ? ( तिर ) हां ' ’या जिस मध्य के शरीर ने कहा गन्ना किसान