पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५१२

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५१ हत्यार्थ-कश: !! तो वीर्य को भूमि पर गिरा दिया ॥ और उसका वह कार्य परमेश्वर की दृष्टि में बुरा था इसलिये उसने उसे भी मारडाला ॥ ब० उत्प० पर्व ३८ । मा०ि । ! ८। ९। १० । समीक्षक-अब देख लीजिये ! ये मनुष्यों के काम हैं कि ईश्वर उसके के ? जब साथ नियोग हुआ तो उसको क्यों मारडाला है उसकी बुद्धि शुद्ध क्यों न करती और वेदोक नियोग भी प्रथम सर्वत्र चलता था यह निश्चय हुआा कि नियोग की बातें अब देशों में चलती थर्थ ॥ ३६ ॥ तरत यात्रा की पुस्तक ॥ ३७। —जब मूसा खयाना हुआ और अपने भाइयों में ए इत्ररानी को देखा कि मिश्री उसे मार रहा है ॥ वन उसने इधर उधर दृष्टि किई देखा कि कोई नहीं तब उसने उस मिश्री को इरडाला और बाछ में उसे छिपा दिया । जब वह दूसरे दिन बाहर गया तो देखा दो इबरानी आपुख में झगड़ रहे हैं तब उसने उस अंधे को कहा कि तू अपने परोपी को क्यों मारता है ॥ तब उसने कई कि किसने जुर्म , इस पर अध्यक्ष अथवा न्याय यी ठाया क्या सू चढ़ता है कि जिस रीति से खूने मिश्री को मारडला मु भी मार डाले तव मूसा डरा और भाग निकला ॥ तो • य।’ प० २ । आ० ११ । १। १३ से १४ । १५ ॥ समीक्षक-अब देखिये ! जो बाइबल का मुख्य सिद्धकतों मत का आमाद मूसा कि जिसका चरित्र क्रोधदि दुर्गुणों से युक मनुष्य की तस्या करनेवाला और चोरवड़ राजदंड से बचने हाराअर्थात् जब बात को छिपता था तो झूठ बोलने वाला भी अनश्य होगा ऐखे को भी जो ईश्वर मिला वह पैग़म्बर बना उसने यहूदी आ ' का सत चलाया वह भी मूसा ही के सदृश हुआ ।इलिये ईसाइयों के जो मूल एक . पत हुए हैं वे सब मूल के आादि ले करके जंगली अवस्था में थे, विद्यावस्था में नहीं इयादि ॥ ३७ ॥ ३८-और ॥ और एक जूफा ले औो उसे सेना सारी मूठी और डस ले में जो यापन में है गोर के ऊपर की चोखट के और द्वार की दो और जापते और तुममें से कोई विहाना अपने घर के द्वार से बाहर न जावे । ई' *ि परमेश्वर मिश्र के मारने के लिये अमरपार जायगा और जम से अलर की कॉल लर्ट दाईं और बीते दो द तt ।र ल। थे । f दल तत्र में इत्र द्र। से बीत जाग