पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५२६

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५२४ सत्यप्रकाश: 1। ६९-तब भूतग्रस्त मनुष्य कवरस्थन में से निकल उससे आमिले जो यहां ल अतिप्रचंड थे कि उस मार्ग से कोई नहीं जासकता था और देखो उन्होंने चिल्ला के कद्दा है यीशु ईश्वर के पुत्र में आप को हम से क्या काम क्या आप समय के आगे हमें पीड़ा देने को यहां आये हैं सो भूतों ने उसे विनती कर कहा जो आप इस 1 को निकालते हैं तो सूअरों के मुण्ड में बैठने दीजिये उसने उनसे कहा जाओ और वे निकल के सूअरों के झुण्ड में बैठे और देखो सूअरों का सारा झण्ड कडाई पर से समुद्र में दौड़ गया और पानी में डूब सरा ॥ ई० म ० प० ८ ने अ० २८ । २६ । ३० । ३१ 1 ३२ । ३३ ॥ - समीक्ष-भला यहां शनिक विचार करें तो ये बसें सब झूठी हैं क्योंकि म हुआ मनुष्य कवरस्थान से कभी नहीं निकल सकता वे किसी पर न जाते न संवाद करते हैं ये सब बातें अज्ञानी ोगों की हैं जो कि महाजंगली हैं वे ऐसी बातों पर मैं विश्वास लाते हैं और उन सूअरों की हत्या कराई, सूअरवालों की हानि करने का पाप ईसा को हुआ होगा और ईकाई लोग ईसा को पापक्षता और पवित्र करनेवाला मानते हैं तो वन भूतों को पवित्र क्यों न कर रखका १ और सूअरवालों की हानि क्यों न भरी ? क्या आजकल के सुशिक्षित ईसाई अंगरेज़ लोग इन गपोर्षों भी मानते होंगे ? यदि मानते हैं तो भ्रमजाल में पड़े हैं ॥ ६९ ॥ ७०देखो लोग एक अधेड़ को जो खटोले पर पड़r था उस पास लाये और है उस आह्वी से ।ढ यीशु ने उनका विश्वास देख के कहा हे पुत्र ढकर तेरे पाप क्षमा किये गये हैं मैं धर्मियों को नहीं परन्तु पापियों को पश्चाताप के लिये बुलाने आाया ॥ ई० म ० ५० t १३ ईं ई आ० २, ॥ समीक्षक-यह भी बात वैसी ही असंभव है जैसी पूर्व लिख माये हैं और जो प। क्षमा करने की बात है वह केवल भोले लोगों को प्रलोभन देकर फंना । जैसे दूसरे के पीये म भांग और अफीम खये का नt दूसरे को नहीं प्राप्त हो सकता वैसे हई किसी क। न किया हुआ पाप किसी के पास नहीं जाता किन्तु जो करता है वही भोगता है, यही इंश्व रे, यदि दूसरे का किया पाप पुण्य दूसरे को प्राप्त होवे अथवा न्यायाधीश स्वय लल

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को यथायोग्य फल ईश्वर न देवे वो वह अन्यायकारी होजावे, देखो में लम ऊइली और 8वा अन्य कोई नहीं लिये की प्राप्ति के लिये ईश्वर सr बा और वर्तमाओं के ईवा आदि कुछ पापिों के लियेक्योंकि पाकिसी का नहीं छद सकता tl७०। ।