पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५३०

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प्रमश: । करेगा यह कहना केवल आविया की बात है और इससे यह भी आया कि जितने ईसाई घन ढय हैं क्या वे सब नरक ही जायेंगे ? दुरिद्र सब स्वर्ग में जायेंगे ? में आला तनिकसा विचार तो ईसामसीह करते कि जितनी सामग्री धज्यों के पास होती है उतनी दरिद्रों के पास नहीं यदि धनाढय लोग विवेक से घमार्ग में व्यय करें तो दरिद्र नीच गति में पड़े रहें और धनाढय उत्तम गति को प्राप्त हो सकते हैं।७६ ॥ ७७ यीशुने उन से कहा मैं तुम से सच कहता हूं कि नई स्ष्टि में जब स- क्ष्य का पुत्र अपने ऐश्वर्य के सिंहासन पर बैठेगा तब तुम भी जो मेरे पीछ इा लिये दो बारह fहासन पर बैठ के इस्रायल के बारइ कुलों का न्याय करोगे जिस किसी ने मेरे नाम के लिये घरों वा भाइयों व T बहिनों व पिता व माता वा भी वा लडकई व भूमि को स्याग है सो सौ गुण पाग और आनन्त जीवन का अ धि कारी होगा ॥ ई० म ० प० १६ । आ ० २८ । २४ ॥ समीक्षक-अब देखिये ! ईसाके भीतर की लीला कि मेरे जाल से मरे पीछे भी | लोग न निकल जायें और जिसने ३०) रुपये के लोभ से अपने गुरु को पकड़ मरवया जैसे पापी भी इसके पास सिंचन पर बैठगे और इस्त्राये के कुल पक्षपात से न्याय ही न किया जायगा किन्तु उन सब गुनः माफ और कुलों का न्याय करेंगेअनुमान होता है इसी से ईसाई लोग ईसाइयों का बहुत पक्षपात कर किसी गोरे ने काले को सार दिया हो तो भी बहुधा पक्षपात से निर पराधी कर छोड़ देते हैं ऐसा ही ईडा के स्वर्ग का भी न्याय होगा और इससे बर दोप आता है क्योंकि एक दृष्टि की आदि में मरा और एक कय।मत की रात क नि कट मराएक तो आदि से अन्तत क आशा ही में पड़ा रहा कि कत्र न्याय इतना और दूसरे का उसी समय न्याय होगया यह कितना बडा अन्याय है ोंर जप त रक में जय अनन्त 5/सत क नर भोगे और स्वर्ग में जावा वह सद वर्ग भगा यह भी वहा अन्याय है क्योंकि अन्तवाले साधन प्रौर कमरों का फल श्र न्वाला होना चाहिये और शुक्र य पाप वा प्रय दो जीवों का भी नहीं हो सकता इमजिये तारतम्य मे धि न्यू सुख दुःख वाले अनेक संवर्ग और नरक हों तभी उ *र टु प भोग में खून हैं 7 ३ स।इयों के पुलक से कई: व्यवस्था नहीं है। ' घx पेश ईश्वर कृत t der श्वK का चेटा कभी नहीं हो सकतायह बढ़ नये सलय नो केत है कि कदापि किसी के मा ाा सौ से नहीं हो सकते किन्तु एक का ( ५६ * मोड़ 5ी बाप देता है अबु Tान केद्धि मुख मनों ने जो क क को ७२ ! ' किई ६ि३४ में मि की ईं बिप है यहां से लिया होगा fl ७७ 11