पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५३७

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त्रयोदशमशुद्दा: ॥ ५३१ और जी उठा १ क्योंकि उन स्त्रियों ने उन पर पकड़ के प्रणाम किया तो क्या वही शरीर था । ? और वह तीन दिनों सड़ क्यों न गया और अपने मुखसे सबका अधिकारी बनना केवल दम्भ की बात है शिष्यों से मिलना और उनसे सब बातें करनी शखम्भव हैं क्योंकि जो ये बातें कब हों तो आजकल भी कोई क्यों नहीं जी उठते है और उसी शरीर से स्वरों भी क्यों नहीं जाते ? य6 मत्तीरचित इजील का विषय हो चुका अब मार्केरश्चित जी के विषयमें लिखा जाता है ॥ ८ = 11 मार्करचित इजील ॥ ८९-यह क्या बढ़ई नहीं : इ० सा प० ६। आ० ३ ॥ समीक्षक-स में यूसफ बढ़ई था इसलिये इंसान भी बढ़ई था कितने ही वर्ष तक बढ़ई का काम करता था पश्चात् पैगम्बर बनता २ इंश्वर का बेटा हीं बनाया और जंगली लोगों ने बना लिया , तभी बड़ी कारीगरी चलाई । काट कूट फूट फाट करना उसका काम दे ॥ ८९-It लूकरचित इजील ॥

। -यी ने उसमें कहा तू मुझे उत्तम क्यों कहता है कोई उत्तम नहीं है। अर्थात् ईश्वर 1 ल० प० १८। आ० १९ ॥ । समीक्षक-जब ईसा ही एक अद्वितीय ईश्वर कहता है तो ईसाइयों ने पवि . नाम पिता और पुत्र तीन कहा जे बना दिये 11 ह० 11 ९१तब उसे हेरोद के पास भेजा 1 हेरोद यीशु को देख के अति आनन्द्रित हुआ क्योंकि वह उसको बहुत दिन से देखना चाहता था इसलिये कि उसके वि षय में बहुतसी बातें सुनी थीं और उसका कुछ आश्चर्य कर्म देखने की उसको आशा हुई उसने उससे बहुत बातें पूछीं परन्तु उसने उसे कुछ उत्तर न दिया ॥ स्टूझ ० प० २६ । डा० ८। ९ । - - समीक्षक--यह बात मत्तीरचित में नहीं है इसलिये ये ।क्षक iवेगड़ गये क्योंकि साक्षी एक से होने चाहियं और जो ईसा चतुर और करमती होता तो (को ) उत्तर देता और कामात विदित होता है हेरोद भी दिखलात इसे कि ईसा में विद्या और करामात कुछ भी न थी ॥ ५१ ॥