पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५४२

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५४७ पस्यार्थनाशः ॥ १०३-और जैसे बड़ी बयार से हिलाए जाने पर गूलर के वृक्षसे उसके कये गूलर कड़ते हैं जैसे आकाश के तारे पृथिवी पर गिर पड़े। ओर आकाश पत्रकी नाई जो जपेटा जाता है लग गया ! यो० न प० ६। आ० १३ : १४ ॥ । समीक्षक -अब देखिये योहन भविष्यटक्का ने जब विद्या नहीं है तभी तो ऐसी अण्ड बण्ड कथा गाई, भला तारे सब भूगोछ हैं एक पृथिवी पर कैसे गिर सकते हैं ? और सूर्यादि का आकर्षण उनको इधर उधर क्यों आने जाने देगा ॥ और क्या आकाश को चटाई के समान समझता है ? यह आकाश साकार पद्मार्थ नहीं है जिस को कोई लपेटे व इकट्ठा कर सके इसलिये योइन आदि सब जइली मनुष्य थे उनको इन बातों की क्या ख़बर १ ॥ १०३ ॥ . १०४-मैंने उनकी संख्या सुन इनएल के यंतानों के समस्त कुल में से एक- लाख वाली सस्त्र पर छाप दी गई यिहूदा के कुल में से वरसन पर छाप दीग ( यो० ट० प० ७ । प्रा० ४ 1 ५ 1 समीक्ष- -क्या जो याइवल में ईश्वर लिखा है वह इस्राएल आदि कुलों का स्वामी है व वो सब सर का। १ ऐसा न होता तो उन्हीं जइलियों का साथ क्या देता१ और उन्हीं का खाय करता था दूसरे का नाम निशान भी नहीं लेता इस से बह ईश्वर नहीं और इनाएल कुलादि के मनुष्यों पर छाप लगाना अल्प अथवा योझन की मिथ्या कल्पना है ॥ १०४ ॥ १०५कारण वे हैं रार -इख ईश्वर के सिंहासन के आगे और उसके मंदिर में श्रर दिन उसकी सेवा करते हैं : यो० प्र० प० ७ 1 आ० १५ ॥ समक्षक-क्या यह म शुरपरस्ती नही है ? अथवा उनका ईश्वर देहारी मऊ- क्ष्य तुल्य एकईशत नही है? और ईसाइयों का ईंधेर रात में सोता भी नहीं है यदि ोता है तो रनसे पूछा क्यकर करते होंगे ? तथा उसकी नींद भी आजादी होगी और जो रात दिन जागवत होगा तो विक्षिप्त वा अतिरोगी होगr t ०५ ! ? १ १०६-और द ा दूत आ के चेवी के निकट खड़ा हुआ जिस पाल ने भूप दो थी भार उक्त गांव में दिया गया और वृद्धा आ पवित्र छोग ही प्रार्थना ! के कग 'त ६भ में ने घर के आ॥ पड़ गया और तमे बद्द दrी के खमैं ?