पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५५१

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अयोध्रशसमुलाः ॥ से ५४९ , 6 - " १२८छर कोई अपवेन व अथवा घिनत कम करना अथवा झ पर चलनेहारा उसमें किसी रीति से प्रवेश न करेगा ॥ यो० प्र० प० २० । जा० २७॥ समीक्ष-जो ऐसी बात है तो ईसाई लोग क्यों कहते हैं कि पापी लोग भी स्वर्ग में ईसाई होने से जा सकते हैं ? यह ठीक बात नहीं है यदि ऐसा है तो योइ ना स्वप्ने की सिभ्य बातों का कहू नेहरा स्वर्ग में प्रवेश कभी न करसका होगा और ईसा भी स्वर्ग में न गया होगा क्योंकि जब अकेला पापी स्वर्ग को प्राप्त नहीं हो स कता तो जो अनेक पापियों के पाप के भार से मुक्त है वहूं क्योंकर स्वर्गवासी हो स कता ; है ? ॥ १२८ ॥ - 4 . १२९र अब कोइ श्राप न होगा और ईश्वर का और मेम्ने का सिंहासन उसमें होगा और उसके दास उसकी सेवा करेंगे और ईश्वर का मुंह देखेंगे और ! उस का नाम उनके माथे पर होगा और वहां रात न होगी और उन्हें दीपक का ? अथवा सूर्य की ज्योति का प्रयोजन नहीं क्योंकि परमेश्वर ईश्वर उन्हें ज्योति देगा। वे सदा सर्वदा राज्य करेंगे ॥ योC प० प० २२ । आ० ३। ४। ५ ॥ समीक्षक-देखिये यही ईसाइयों का स्वर्गवास ' क्या ईश्वर और ईसा सिंहा सन पर निरन्तर बैठे रहेंगे १ और उनके दास उनके सामने खदा मुंह देखाकरेंगे १ अब यह तो कहिये तुम्हारे ईश्वर का मुंह यूरोपियन के सदृश गोरा व अफ्रीका वालों के सदृश काता अथवा अन्यदेश बातों के समान है ? यह तुम्हारा स्वर्ग भी बन्धन है। क्योंकि जहां छोटाई बढ़ाई है और उसी एक नगर में रहना अवश्य है तो वहां दुःख क्यों न होता होगा १ जो मुखवाला है वह ईश्वर सर्वेक्ष सर्वेश्वर कभी नहीं होसकता ॥ १२९ ॥ १३०देख मैं शीध्र आता हूं और मेरा प्रतिफ्त मेरे साथ है जिसमें हर एक को जैसा उसका कार्य ठहरेगा वैसा फल देगा 1 यो ० प० प० २२ आा ० १२ ! समीक्षक-जब यही बात है कि कमर पाते हैं तो पापोंकी कभी नहीं होती और जो क्षमा होती है तो ईज़ील की बातें भूठी कोई तमा यदि कहे कि करना भी इंजील में लिखा है तो पूपर विरुद्ध अर्थात् 'इल्फदरोगा" हुई तो झूठ है इसका मानना छोड़ दे । अब कहांतक लिखें इनकी बाइगल में लाखों पार्टी