पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५५८

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५७६ सत्यार्थनाशः ? t जो छाते हैं तो कुरान * का होना किसलिये है जो कहें कि कुरान में अधिक बातें हैं तो पझिली किताब में लिखना खुदा भूल गया होगा ! और जो नहीं भूला तो कुरान का बनाना निष्प्रयोजन है। और हम देखते हैं तो बाइबल और कुरान की बातें कोई२ न मिलती होंगी नहीं तो सब मिलती हैं एक ही पुस्तक जैसा कि वेद है क् न बनाया ? कयासत पर ही विश्वास रखना चाहिये अन्य पर नहीं ?1 १।२३ क्या ईसाई और मुसलमान ही खुदा की शिक्षा पर हैं उनमें कोई भी पापी नहीं है ? क्या ईसाई और मुसलमान अधर्म हैं वे भी छुटकारा पाने और दूसरे धर्मामा भी न पालें तो वड़ अन्याय और अंधेर की बात नहीं है ?॥ ॥ और क्या जो लोग मुसलमानी सत्त को न मान उन्हीं को काफिर कहना यह एकतफ डिगरी नहीं है ॥ जो १ परमेश्वरऔर मोहर और उससे ही ने उनके अन्त:करण कानों पर लगाई वे पाप करते हैं तो उनका कुछ भी दोष नहीं यह दोष खुद्दा ही का है फिर उन पर सुख वा पाप पुण्य पुनः करता है दुःख व नहीं हो सकता उनको सजा क्यों क्योंकि ¥ उन्होंने पाप वा पुण्य स्वतन्त्रता से नहीं किया है। ६ । ५ !॥ ६-उनके दिलों में रोग है अल्लाहू ने उनका रोग बढ़ा दिया ॥ १० १ ! खे ° १ 1 सू° २ । आ० ९ ॥ समीक्षक-भला विना अपराध खुदा ने उनका रोग बढ़ाया दया न आई उन वरt को बड़ा दुख हुआ ३ग! क्या यह शैतान से बढ कर वानपन का काम नहीं है ? किसी के मन पर मोहर लगानाकिसी का रोग बढ़ाना यह खुदा का काम नहीं हो सकता, क्योंकि रोग का बढ़ाना अपने पापों से है ॥ ६ ॥ ७जिसने तुम्हारे वास्ते थिवी विछौना और आासख मास की छतंको बनाया ॥ म ० १ 1 से ० १ 1 स० २ । आ० २ १ | समीक्ष-भला आमान छत किसी की हो सकती है ' यह विद्या की गत है अवकाश को छत के न मान मानना खी की बात . यदि किसी प्रकार की पधिवी को मानते हों तो उनके घर की बात है 17 है। आरमन ७ -- तुम दुख वस्तु देख में हो जो हमने अपने पैतृघर के ऊपर उतरह । ो इस्र फेस एक सूरत के श्रा ो और अपने साक्षी लोगों को काले अढाई के विना

  • f६-ईई में पe शुद 6 रआन' है परन्तु भाषा में लोगों के बोलने में

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