पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५५९

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चतुदर्शसमुछायः ? ५५७

तुम सच्चे हैं जो दुर्भ : अपर कभी न का ता उस आग से डरi i iजक हैं । इन्धन मनुष्य हैं और काफ़री क वारत त्थर तयार किये गये हैं ! में ० १ ।थि ० १ । सू० २ । अ० २२ से २३ ! - - हैं

चमक्षक---भता यह कोई बात है कि उसके सदृश कोई सूरत न बने : क्य अकबर बादशाह के समय में मौलवी फैज़ी ने बिना कत्ते का कुरान नहीं बना लिया था ! व कौनसी दोजख की आग है ? क्या इस आग से न डरना चाहिये ? इसका भी इन्धन जो कुछ पड़े सब है । जैसे कुरान में लिखा है कि काफिरों के वास्ते पत्थर तैयार किये गये हैं तो वैसे पुराणों में लिखा है कि स्वेच्छों के लिये घोर नरक बना है! अब काहिये किसकी बात सच्ची मानी जाय १ अपने २ बचन से दोनों स्वर्गीगामी आर दूर मत ख दान नरकगस मत इसलिय इन व बका कर झूठा हूं किन्तु जो धार्मिक हैं वे सुख और जो पापी हैं वे सब मतों में दुःख पायेंगे ॥ ८ ॥ ९-और आनन्द का सन्देसा दे उन लोगों को कि ईमान लाए और काम किए अच्छे यह कि उनके वास्ते बितेिं हैं जिनके नीचे से चल ती हैं नरें जब उसमें से वर्षों के भजन गद्य जावरा तब ६ग ब६ वां वस्तु ६ ज म पहले इससे दिये गये थे और उनके लिये पवित्र बीवियां सदैव वहा रहनेवाली हैं ! । में ० १ 1 ०ि १ । सूद २ । आ० २४ ॥ समीक्ष-भला यह कुरान का बहिश्त संसार से कौनवी उतम बातवाता है ? क्योंकि जो पदार्थ संखार में हैं वे ही मुसलमानों के स्वर्ग में हैं और इतना विशेष है। कि यहां जैसे पुरुष जन्मते मरते और आते जाते हैं उसी प्रकार स्वर्ग में नहीं किन्तु यहां की नियां सदा नहीं रहतीं और वहां बीबियां अर्थात् उत्तम लिया दा काल रहती हैं तो जबतक क़यामत की रात न आवंगते तबतक उन विचारियों के दिन कैसे कटते होंगे ' हां जो खुदा की उन पर कृपा होती होगी ! और खुद ही के आश्रय समय काटती होंगी तो ठीक है कि यह मुसलमानों का स्वर्ग गोकलिये गुसांइयों के के गोलोक और संदिर के सदृश स्विता है क्योंकि वहां निों का मान्य बहुत, पुरुओं का नहीं, वैसे ही खुझा के घर में बेयों का मान्य अधिक और उनपर खुदा का प्रेम भी बहुत है, उन पुरुषों पर नहीं, क्योंकि बीवियों को खुदा ने वश्ति में सदा रक्खा और पुरुषों को नहींवे बीबियां विना खुदा की मर्जी स्वर्ग में कैसे ठहर सकती १ जो यह बात ऐसी ही हो तो खुदा नियों में ईष जाय ! ॥ ९ ॥ P > >