पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५६३

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चतुर्दशखास: ! ५ ६१ को आप में से घरों उनके पैसे निकाल देते हो ॥ मं० १ । सि० १ ) स ० २ । आ० ७७ : ७८ I। समीक्षक-—-भा प्रतिज्ञा करनी और करनी अल्पज्ञों की बात है वा परमात्मा की जब परमेश्वर सर्वज्ञ है तो ऐसी कड़ाकूट संखारी मनुष्य के समान क्यों करेगा? भला यह कौनची भली बात है कि छापस का छोटू न बहाना अपने मतवालों को घर से न निकालना अर्थात् दूसरे मतवालों का लोहू बहाना और घर से निकाल देना " यह मिथ्या मूर्खता और पक्षपात की बात है । क्या परमेश्वर प्रथम ही से नहीं जानता ये विरुद्ध करेंगे ? इखये विदित होता है कि सत था कि प्रतिज्ञा से मानों का खुदा भी ईसाइयों की बहुतसी उपमा रखता है और यहू कुरान स्वतंत्र नहीं बन सकता क्योंकि इसमें से थोड़ीठी बातों को छोड़कर बाकी सब बातें बाइ बल की हैं ॥ १७ ॥ १८ये लोग हैं कि जिन्होंने आख़रत के वह जिन्दगी यहां की मोल जेली उनसे पाप कभी हलका न किया जावेगा और न उनको सहायता दी जावेगी। में ० १ । वि० १ I २! आ० ७९ ॥ खमीक्षक-भला ऐसी हूँज्यों ढे की बात कभी ईश्वर की भोर से हो सकती हैं१ जिन लोगों के पाप हल किये जायेंगे वा जिनको सहायता दी जावेगी वे कौन हैं१ यदि हैं विना टूल जायेंगे तो अन्याय वे पापी छोर पापों का दण्ड दिये किये होगा जो इस सज़ा देर हलके किये जायेंगे तो जिनका बयान आयत में है ये भी सजा पा के हल के हो सकते हैं । और दण्ड देकर भी हल न किये जायेंगे तो भी अन्याय पापों से इनके किये जाने के प्रयोजन धम्मा होगा । जो वालों का है तो उनके पाप तो आप ही हलके हैं खुदा क्या करेगा १ इसके यहूं लेख विद्वान् का नहीं । और वास्तव में धर्मात्माओं को सुख और अधर्मिमयों को दु:ख उन के कर्मों के अनुसार सदैव देना चाहिये ॥ १८ है। १९-निश्चय हमने सूखा को किताब दी और उसके पछि हम पैगम्बर को लाये और मरियम के पुत्र ईसा को प्रकट मौजिज़ अर्थात् दैवीशक्कि और सामर्य दिये उसके साथ रूहुल्कुदुख * के जय सुम्हारे पास उस बस्तु खहित पैग़म्बर आया कि जिसको तुम्हारा जी चाहता नहीं फिर तुमने अभिमान किया एक मठ को झठलया और एक को मार डालते हो ॥ से ० १ । खि० १। सू० २४ अ० ८०!! 2 के -

के रूछुछुट्स कहते हैं जबरईख को जो कि हरदम नमीटू के थ रहना या । '७१