पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५६८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

५ ६६ साथकाश: । ३१-जो लोग अल्लाह के मार्ग में मारे जाते हैं उनके लिये यह मत कहो कि ये मृतक हैं किन्तु वे जीवित हैं ।॥ में ० १ 1 खि० २ । सु० २५ आ० १४४ ॥ समीक्षक-भला ईश्वर के सार्ग में मरने मारने की क्या आवश्यकता है मैं यह क्यों नहीं कहते हो कि यह बात अपने मतलब सिद्ध करने के लिये है कि यह्य लोभ देंगे तो रोग व , अपना विजय होगा, मारने से न डरेंगे, लूट मार कराने खें ऐश्वर्य प्राप्त होगा, पश्चात् विषयानन्द करेंगे इत्यादि स्वप्रयोजन के लिये यह बि- परीत व्यवहार किया है ॥ ३१ ॥ ५ ३२-और यह कि अल्लाह कठोर दुःख देनेवाला है । शैतान के पीछे मत चलो निश्चय वो तुम्हारा प्रस्यक्ष शत्रु है उसके विना और कुछ नहीं कि बुराई ओर निर्लज्जत। की आज्ञा दे और यह कि तुम कहो अल्लझ पर जो नहीं जानते ॥ में ० १ 1 खि० २ । आ० व १५५ ॥ २ । सू° १५१ 1१५४ । समीक्ष-क्या कठोर दुःख देनेवाला दयालु खुदा पापिय, पुण्यात्माओं पर है। अथवा मुसलमान पर दयाछ और अन्य पर दयहीन है ? जो ऐसा है तो वह ईश्वर ही नहीं हो सकता है और पक्षपाती नहीं है तो जो मनुष्य कहीं धर्म करेगा उस पर इवर दयाल और जो अधर्म करेगा उस पर दण्डाता होगा तो फिर बीच में मुद्दे म्मद सईद और कुरान को मानना आवश्यक न रहा । और जो चु सब को रहें करनेवाला मनुष्य मात्र का शत्रु शैतान है उसको खुदा ने उत्पन्न ही क्यों किया । दया हृ भविष्यत् की बात नहीं जानता था ? जो कहो कि जानता था परन्तु परीक्षा के लिये बनाया वो भी नहीं बन सकता, क्योंकि परीक्षा करना अस्पज्ञ काम का सर्वज्ञ तो सब जी के अच्छे बुरे कर्मों को उदासे ठीक २ जtनता है और ता सब ो व६ाता है तो शैतान को किने व काया ? जो कहे कि शैवन माप | बकता है तो अन्य भी अस्प से छाप व हंक खकते हैं बीच में खान का क्या काम है और जो खुद ही ने शैतान को इंकाया तो खुदा गवान का भी । ठहरेगा ऐसी बात ईश्वर की नहीं हो सकती और जो कोई बकता है वह कुसेगम है ढथ वा व चन्द व ६ 11 ३२ । ३३तुम पर वृदरजोइ और गोश्त स्मर का म है और अल्लाह के बिना जिक व पर कुछ कहा जाये ॥ सं० १ 1 ०ि २ सू० २ । अ० १५५ ॥