पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५७२

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५७० सत्यार्थी . अधसे सकता करना चाहे तो कर है?जो ऐसी बात है तो वह खुद ही नहीं क्योंकि भले मनुष्यों का यह कर्म नहीं कि शान्तिभंग करके लड़ाई करायें विदित इस होता है कि यह कुरान न ईश्वर का बनाया और न किसी धार्मिक विद्वान् का रचित दे 7 ४० । ४१-—जो कुछ आस मान और पृथिवी पर है सब उसी के लिये है । ॥ चाहे उसकी कुरसी ने आापमान और पृथिवी को जमा लिया है ॥ संग० १ । खि०३ । सू- १। आा ० २३७ ॥ । -० समीक्षक--जो आकाश भूमि में पदार्थ है वे सब जीवों के लिये परमात्मा ने उत्पन्न लिये वह पूर्णाम है पदार्थ की किये हैं अपने नहीं क्योंकिं वो किसी अपेक्षा नहीं जब उसकी कुर्सी है तो वह एकदेश है जो एकदेशी होता है वह ईश्वर नहीं कहा क्योंकि ईश्वर तो व्यापक है । ४१ । ४२-अल्लाह सूर्या को पूर्व से लाता है बख त पश्चिम से लेआा बस जो काफिर हैरान हुआ था निश्चय अल्लाह पापियों को सारी नहीं दिखलाता । ॥ खि° । में ० १ ३। सू० २ । आ० २४० ॥ समीक्षक देखिये यह अविद्या की बात !सूर्य न पूर्व से पश्चिम और न पश्चिम से पूर्व कभी आता जाता है वह तेा अपनी परिधि में घूमता रहता है इससे निश्वि जाना जाता है कि कुरान के कर्ता को न खगोल और न भूगोल विद्या आती थी जो पापियों को समागे नहीं बतलाता तो शुण यात्माओं के लि ये भी मुसलमाना क खुदा की आवश्यकता नहीं क्योंकि धमा तो धर्ममार्ग में ही होते हैं, संrगे तई घमें से भूले हुए मनुइयों को बताना होता है तो कर्णय के न करने से कुरान के कर्ता की बड़ी भूल है ॥ ४२ ॥ ४३का चार जानवरों से ले उनकी शत पहिचान रख फिर हर पहाड़ पर उनमें से एक २ टुकड़ा रख दे फिर उनको बुला दौढ़ते रे पास चले आवग । म ० १ 1ख० ३ 1 स० २ । आ० २४२ I खमीक्षक-वाई २ देखो जी मुसलमानों का खुदा भानमती के स्रसाम खेल कर रहा है ! क्या ऐसी ही बातों से खुद की खुदाई है ? बुद्धिमान लोग पेचे ख़ुदा की। तिलोजाति देकर दूर रहेंगे और मूर्ख लोग गे इससे खुदा की बड़ाई के बदल बुरई के पल्ले पशी ॥ ४३ ॥