पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५७३

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-६७१ से चढउपखाद: । ४४-जिच को चाहे नीति देता है । सं ० १। खि० ३ सु० २ आ २५१ ॥ समक्षक-जब िको चाहता है उसको नीति देता है तो जिज को नहीं चाहता है उसको नीति देता होगा यह बात ईश्वरत की नहीं हैं किन्तु जो पक्षपात छोड सब को नीति का उपदेश करता है वहीं ईश्वर और आाप्त हो सकता है अन्य नहीं : ४४ ॥ h y थे । ४५-६ कि जिसको चाहेगा दक्षता करेगा जिस को चाहे फ्रेंड देगा बकि वह सब वस्तु पर बलव।न् है ॥ सं० १। सि ० ३ । सू० २ । आ० २६६ ॥ चमीक्षक-इया क्षमा योग्य पर क्षमा न करना अयोग्य पर क्षमा करना गवरगंड राजा के तुल्य यह कमें नहीं है ? यदि ईश्वर जिसको चाइता पा वा पुण्यात्म बनाता है तो जीव को प.प पुण्थ न लगाना चाहिये जब ईश्वर ने उसको वैसा ही किया तो जीव को दुःख सुख भी होना न चाहिये, जैसे सेनापति की आज्ञा से किसी अन्य ने किसी को मारा वा रक्षा की ठ व का फल भगी वह नहीं होता वैसे वे भी नहीं ॥ ४५ ॥ ४६- 58 इससे अच्छी और क्या परहेजगारों को ख़बर हूं कि अल्लाह की ओर से बiदेते हैं जिनमें नहरें चलती हैं उन्हीं में सदैव रहनेवाली शुद्ध बीविया अल्लाह का प्रम- अता से अल्लाह खान को देखने वाला है साथ बन्दों के ॥ में ०१ सि० ३ । सू५३आ०११। समीक्षक-भला यहूं वर्ग है किंवा श्रेय वन ? इसको ईश्वर क ा या कैण १ कोई भी बुद्धि मात्र ऐसी बातें जिले में हों उस को परमेश्वर का किया पुस्तक मान च कता है ? यडू पक्षपात क्यों करता है १ जो बीबियां बहित में सदा रहती है वे यहां जन्म के बह गई . वा वहीं उत्पन्न हुई हैं ? यदि यहां जन्म प' कर गई हैं और जो क़यामत की रात से पहिले ही वह वtवियों को बुझा लिया तो उनके खा . विन्दों को क्यों न बुला लिया १ और कृयामत की रात में सब का न्याय होगा इस नियम को क्यों तोड़ा है यदि वीं जन्मी हैं तो कयामत तक वे क्योंकर निर्वाह क रती हैं ? जो उनके लिये पुरुष भी हैं तो यह थे बहित में जानेवाले मुलसमानों को खुदा बीविया कहां वे देगा ? और जब वे बीबिया बहित में सट्टा रद्दनेवली बनाई वैसे पुरुषों को वहा सा रहनेवाल क्यों नहीं बनाया है इसलिये मुसलमानों का खुदा अन्यायका, बेसम है : ४१ ॥ ४७-निश्चय वाद की ओर कें दीन इलाभ है 1 से २ १ : बि० ३। ३ । अ० १६ t