पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५७८

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५७६ सत्यप्रकाश: !

. न्सान भी नहीं है और जो मुसल मान को नारे उस ो दोजख मिले और दूसरे संत वाले कहते हैं कि मुसलमान को मारे तो स्वर्ग मिले अब को इन दोनों सत में ये क्रिकेड तो मानें किस को छोड़ें किन्तु ऐसे मृह प्रकरिंगत मदों को छोड़कर बदत मत स्वीकार करने योग्य सब मनुष्यों के लिये है कि जिसमें आधे सारी अर्थात् श्रेष्ठ पुरुषों के सार्ग में चझना और दस्यु अर्थात् दुष्टों के मार्ग से अलग रहना लिखा है खतम है : ५८ ॥ ५९-और शिक्षा प्रकट होने के पीछे जिसने रसूल से विरोध किया और सु सलमानों से विरुद्ध पक्ष किया अवश्य हम उसको दोजख में भेजेंगे ॥ से ० १ । iख ० ५ । सू ० ४ । अ० ११३ !! स मीक्ष-अष देखि ये खुद और रसू न की पक्षपात की बातें, मुहम्मद साहब आदि समझते थे कि जो खुद के नाम से ऐतो हम न लिखेंगे तो अपना मज़ह व न बढ़ेगा और पदार्थ मिलेंगे आनन्द भोग न होगा इसी से विदित होता है कि व न अपने मतलब करने में पूरे थे और अन्य के प्रयोजन बिगाड़ने में, इससे ये अनाप्त थे इनकी बात का प्रमाण आप्त विद्वानों के सामने कभी नहीं हो सकतr t 48। ६०-जो अलाद फ़रिश्तों किताबों रसूल और क़यामत के साथ कुफ कर न श्चय गुमराह्य है ! निश्चय जो लोग ईमान जाये फिर काफिर हुए फिर २ ईमान व लाये पुन: फिर गये और कुएं में आधि बढ़े आह्वाह उनको कभी क्षमा न करता और न मार्ग दिखलवेग खि० ५ सू० ॥ से ० १ 1 1 g । आ० १३४1 १३५ ॥ व सीक्ष -क्या अब भी खुदा लाशरीक रह सकता है ? क्या लाशरीक कत जाना और उसके साथ बहुत से मानते जाना परस्पर शरी भी यह विरुद्ध बात नहीं तीन बार के पश्चात् क्षमा नहीं करता है और तीन वार है ? क्या क्षमा खुद कु करने पर रास्ता है वा चैोथी देिखठाता ? बार से आगे नहीं दिखलाता, यदि चार चार बार भी कु सच लोग करें तो कु बहुत ही बढ़ाये ॥ ६० ॥ ६१-निश्चय अल्लाह बुरे लोगों और काफिरों को जमा करेगा दोजख में ॥ श्चय बुरे लोग धोखा देते हैं अस्ताह को और उनको बद्द घोका देता है 1 ए इं नवालो मुलाओं को छोह क़ाफ़िरों को मित्र मत बनाओ ॥ में ० 1 ° १ 1 ०ि ५ 2 ) ०ि १३८ से १४ १ में १४ ३ o भी-मुसलमानों के बहिश्त और अन्य लोगों के दोजख में जाने का कया