पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५८०

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५७८ सत्यथकाश: !

६५-जिसको चाहता है क्षमा करता है जिसको चाहे दुःख देता है । जो कुछ किसी को भी न दिया वह तुम्हें दिया ॥ म० २ ०ि ६ 1सू० ५५ आ० १६। १८ ॥ समीक्षक—जैसे शैतान जिसको चाहता पापी बनासा वैसे ही मुसलमानों का खुदा भी शैतान का काम करता है १ जो ऐसा है तो फिर बहिश्त और दोज़ख में खुदा जावे क्योंकि वह पाप पुण्य करनेवाला हुआ, जीव पराधीन है, जैसी सेना खेनापति के भाधीन रक्षा करती और किसी को मारती है उसकी भलाई बुराई सेनापति को होती है सेना पर नहीं ॥ ६५ ॥ ६६-आज्ञा मानो अल्लाह की और आज्ञा मानो रसूल की 1 से 5 २ । पि० ? C r ७ 1 - ५। आ० ८९ अ॥ समीक्ष—देखिये यह बात खुदा के शरीक होने की हैफिर खुदा को “ताश री' मानना व्यर्थ है ॥ ६६ ॥ ६७--अल्लाह ने माफ़ किया जो हो चुका और जो कोई फिर करेगा प्रवाह उसजे बदला लेगा ॥ मं० २ खि० ७ 1 सू० ५। आ० ९२ ॥ समीक्षक किये हुए पार्षों का क्षमा करना जानो पार्टी को करने की आान के बढ़ाना है । पाप क्षमा करने की बात जिस पुस्तक में हो वह न ईश्वर और न किसी । विद्वान् का वनाया है किन्तु पापवद्ध है, हां आगामी पाप छुड़ाने के लिये किसी ख ! प्रार्थना और स्वयं छोड़ने के लिये पुरुषार्थ पश्चात्ताप करना उचित है परन्तु केवल पश्वात्ताप करता रहे छाड नहीं तो भी कुछ नहीं हो सकता ॥ ६७ ॥ ॥ ६८—र उठ मनुष्य से यधिक पापी कौन है जो अल्लाह पर झूठ बान्ध लेता है और कहता है कि मेरी ओर वही कीगई परन्तु वही उसकी ओर नहीं की गई और जो कहता है कि मैं भी उतारूंगा कि जैसे अल्ताह उतारता है सं° २ ॥ द्धि ० ७ स० ६ । अ० ९४ i । समीक्षक-—इस बात से सिद्ध मुहम्मद साहेब होता है कि जब कहते थे कि मेरे पास खुदा की ओर से आयतें आती हैं तब किसी दूसरे ने भी मुहम्मद साहु के तुल्य लीला रची होगी कि मेरे पास भी आयतें उतरती हैं मु को भी मानो इस को हटाने और अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिये मुहम्मद साहेब ने यह उपाय किया होगा ॥ ६८ I॥ पैगम्बर ६९-छअब श्य हमने तुमको उत्पन्न किया फिर तुम्हारी सूरतें बनाईफिर हमने रिश्तों से कहा कि , वख उन्होंने सिजदा किया परन्तु शैवान अदम को सिजदा