पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५८४

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दलानाश3 । ७८अलाद मुसलमानों के साथ है ॥ से गो जो ईमान लाये हो पुकारना स्वीकार कर वास्ते अल्लाद के और वास्ते रसूल के ॥ऐ लोगो जो ईमान लाये हो मत चोरी करो अल्लाद की रसूल की और संत चोरी करो अ मानत अपनी को 1 और म२ करता थ। अल्लाह और अल्जाइ भला सफर करनेवालों का है ॥ में ० २। •ि द । सू० ८ । आ० १९।२४ से २७ । ३० ॥ समीक्षक-क्या अल्लाह मुसलमानों का पक्षपाती है १ जो ऐसा है तो अधर्म .र ।. है / नहीं तो ईश्वर सब सुष्टि भर का है । क्या खुदा विन पुकारे नहीं सुन सकता १ बधिर है १ और उसके साथ रसूल को शरीक करना बहुत बुरी बात नहीं है ? अल्लाहू का ना खजाना भरा है जो चोरी करेगा? क्या रसूल और अपने अमानत की चोरी छोड़ कर अन्य सब की चोरी किया करे १ ऐसा उपदेश आविद्वान् ार अवसिंयों का हो सकता है । आ भला जो सफर करता और जो मकर करनेवालों का । संगी है वह खुई कटी छजी और अश क ों नहीं १६लिये यह कुरान खुदा का बनाया हुआ नहीं है कि वी की कुछ ज़ी का बनाया होगा, नहीं तो ऐसी संन्यथा बातें लिखित बयाँ होतीं १ ॥ ७८ ॥ ७७और ड़िो उन से यहांवक कि न रहे कितना अर्थात् व्ल काफिरों का और होवे दीन तमाम वास्ते अल्लाहू के ॥ और जानो तुम यह कि जो कुछ तुम लूट किसी वस्तु से निश्चय वास्ते अल्ताद के है पांचवां हिस्सा उसका और वास्ते रसूल के ॥ मै० २ । ०ि ९ । सू॰ ८ व आ० ३९ । ११ ॥ समीक्ष—ऐसे अन्याय से कहने लड़ने वाला मुसलमानों के खुदा से भिन्न शा न्ति गक ीं tt कौन होगा १ अब देखिये सब कि अल्ाव और रसू क वास्ते व जगत् को छटा छुटबाना लुटेरों का काम नहीं हैऔर लूट के साल में खुदा का रिबेदार व न ना जानो डा बनना है और ऐसे लुटेरों का पक्षपाती बनना दूा अपनी खुदाई में बट्टा लगाया हैबड़े माश्चर्य की बात है कि ऐसा पुवक सेवा खुदा और पेखा पैगुआर संसार में ऐसी उपाधि और शान्तिभंग कर के मनुष्यों को देने के लिये कक्षा से आया १ जो ऐसे २ मत जगत् में प्रचलित न होने सब जगत् आनन्द में बना रहता ॥ ०९ !॥ ८०और कभी देखे जब काफिरों को रिश्ते करते मारते हैं मु दन और पीले वनी और कईटें व दो अज्ञा न चझ के कr ॥ हमने उनके पाप छे उनको मार भी झूमने फिकr ऑन की कृौत ो डुबो दिया ॥ और तैयारी कर