पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५९३

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चतुर्दशमुख्छा: । दा ह ने दकाल सम्बन्धी जीवों को बिना अपराध मारा तो वह अन्यायकारी गया जt अन्याय का इंत ६ वह खुदा ही न दम ई ठ क ता ॥ १०२ ॥ १०३और दिया इसने समूद को ऊटनी प्रमाण और बहु का जिस को बहू का बतक ॥ जिस दिन बुलावेंगे इम सब लोगों को साथ पेशवाओं उनके के बस जो | कोई दि या गया अमलनामा उस का बीच दहने हाथ उठके कृके ा म० ४ । खि० | १५ । सु०१७ । आ० ५७। ६२ । ६६ ॥ समीक्षक-वाइजी जितनी खुदा की बात निशानी हैं उनमें से एक ऊंटनी भी खुदा के होनेमें प्रमाण अथवा परीक्षा में साधक है यदि खुदा ने शैतान को बह- कान का हुक्म दिया ता खुद ३ा व शतान का सरदार और व पाप करनवाला ठ- हरा ऐसे को खुदा कहना केवल कमखमझ की बात है । जब कयामत का अत् प्रा - लय ही में न्याय करने करने के लिये पैग़म्बर और उनके उपदेश माननेवालों को खुदा बुलावेगा तो जबतक प्रलय न होगा तब तक सब दौरासुपुर्द रहेंगे और दौर सुपुर्द सब को दु:खदायक है जबतक न्याय न किया जाय । इसलिये शीघ्र न्याय प्र करना न्यायाधीश का उत्तम काम है यह तो पोपांबाई का न्याय ठहरा जैसे कोई | न्यायाधीश कहे कि जबतक पचास वर्ष तक के र आर टू कार इकटू न हुई तब- तक उनका दुड व प्राद करनt चाय वसा ६। यद हम कि एक तां पचास। वर्ष तक दौरासुपुर्द रहा और एक आज ही पकड़ा गया ऐसा न्याय का काम नहीं हो सकता न्याय तो वेद और मम्मृति देखो जिसमें क्षण मात्र भी विलम्ब नहीं होता और अपने २ कर्मानुर दड वा प्रतिष्ठा खदा पाते रहत ६ दू या पम्पिरा को गवाही के तुल्य रखने से ईश्वर की सर्वेक्षता की हानि है, भला ऐसा रत क ईश्वर कृत और ऐसे पुस्तक का उपदेश करनेवाल ईवर कभी हो सकता है मैं कभी नहीं ॥ १० ३ ॥ १०४---ये लोग वास्ते उनके हैं व इमेशछू रन के, चलती हैं नव उठन क से । नहर गहिना पहिये जवग बीच उसके कंगन सोने के ख अtर पiशक परीि वन हरित लाहीं की है और ताते की से तकिये किये हुए बीच उसके ऊपर तख़तों के अच्छा है पुण्य और अच्छी है बहिश्त लाभ उठाने की ॥ म हैं । डि० ५५। सू० १८ । म० ३० ॥ समीक्षक- वाहजी वाह ! क्या कुरान का स्वर्ग है जिस में बारा, गहने, ! | गदरी, तकिये आनन्द के लिये है भला कोई बुद्धिमत्र य६ां विचार करे तो यai से वहां |