पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५९६

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५९४ स्वाभ काश: । द इसला बढ़ानेवाले हैं इससे यह पुस्तक परमेश्वरवत और इसमें कहा हुआ? परमेश्वर मी नहीं हो सकता ॥ १० ॥ ११००और किये हमने बीच प्रथिवी के पहाड़ ऐसा न हो कि हिल जावे ॥ मं ० ४ । खि० १७ । सु० २१ । आ० ३० ॥ समीक्ष-यदि कुरान का स्थिघी का घूमना जानता तो बनानेवाला कीtदि यद वाव कभी नहीं कहता कि पहाड़ों के धरने से पृथिवी नहीं हिलती शंका हुई कि जो पहाड़ नहीं घरता तो हिल जाती इसने कहने पर भी भूकम्प में क्यों डिग जाती है ॥ ११० ॥ १११और शिक्षा दी इम ने उस औरत को र रक्षा की उसने अपने गुड़ अंग की वख फेंक दिया हमने बीच उसके रूह अपनी को ॥ में ० ४। जि० १७ ! सू० २१ 1 अ० ८८ !! समीक्षक --ऐसी अश्लील बातें खुदा की पुस्तक में खुदा की क्या और सभ्य मनुष्य की भी नहीं होतीं, जब कि मनुष्यों में ऐसी बात का लिखना अच्छा नहीं तो परमेश्वर के सामने क्योंकर अच्छा हो सकता है । ? ऐसी बातों से कुरान दू पित होता है यदि अच्छी बात होती तो अतिप्रशंसा होती जैसे वेदों की ॥ १११ ॥ ११२-क्या नहीं देखा तूने कि अल्लाद को सिजदा करते हैं जो कोई बीच असमाना और पृथिव के हैं सूर्य और चन्द्र तारे और पहाड़ वृक्ष और जानवर। पहिनायें जावेंगे बीच उसके कंगन खोने से और मोती और पहिनावा बीच उसके रेशमी है ॥ और पवित्र रख वर रे को वास्ते गिई फिरनेवालों के औौर खड़े रहनेवालों के ॥ फिर चाहिये कि दूर करें मैल अपने और पूरी करे भेंट अपनी और चारों ओर फिर घर कदीम के ॥ तो कि नाम अल्लाह का याद सं० ४ ॥ सि० १७। यू० २२) आ० १६ 1 २३ । २५। २८ । ३३ ॥ समीक्षक-भला जो जड़ वस्तु है परमेश्वर को जान ही नहीं सकते फिर वे उस की भकि क्योंकर कर सकते हैं १ इससे यह पुस्तक ईश्वर कृत तो कभी नहीं हो सकता किन्तु किसी भ्रान्त का बनाया हुआ दीखता है वाइ ! बड़ा अच्छा स्वर्ग ३ जहां सोने मोदी के गहने और रेशमी कपड़े परिने को सिलें यह बहिश्त यहां के राजाओं के घर से अधिक नहीं दीख पड़ता 1 और जव परमेश्वर का घर है वह वह उसी घर में रहता भी होगा फिर चुपरस्ती क्यों न हुई है और दूसरे सुपरस्त का खण्डन क्यों करते हैं ? जब खुद भेट लेता अपने घर की परिक्रमा करने का 1 ५ से |